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13 June 2010

कभी-कभी

कभी-कभी भूले से उन के दर पर चले आते हैं,
ये जान कर भी कि दरवाज़ा बंद कर ,वो सो रहे हैं गहरी नींद में
और लौट आते हैं हम अपने आशियाने पर
इस उम्मीद के साथ कि शायद कभी वो हम को पहचान लेंगे.

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