आप के हमारे और सब के बिग बी यानि अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में बचपन में बोर्डिंग स्कूल में हुई अपनी पिटाई का जिक्र क्या कर दिया देश के लगभग सभी अख़बारों के इन्टरनेट और प्रिंट संस्करणों में ये खबर प्रमुखता से छपी. इस खबर का आम आदमी पर क्या असर पड़ना है? ये किसी को नहीं पता.जबकि इन्ही mr बच्चन ने जब ये ऐलान किया की वे भोपाल गैस पीड़ितों की खुले दिल से मदद करने को तैयार हैं शायद ही किसी अख़बार ने इसे प्रमुखता दी.
ये ठीक है की प्रिंट मीडिया सामाजिक जागरूकता और आम आदमी की परेशानियों से सरोकार रखता है मगर अभिनेताओं या राजनेताओं की छींक आने या उन्हें फ्लू हो जाने की ख़बरों को प्रमुखता देने का क्या औचित्य है?हर दूसरे दिन इस तरह की खबर किसी न किसी समाचार पात्र में देखने को मिल जाएगी.
एक आम आदमी का बच्चा हर दिन स्कूल में पिटता है,एक आम आदमी को हर दिन फ्लू ,या छींक आती है पर क्या संसद में या विधानसभा में बैठने वाले उन नेताओं से जिन्हें वो खुद चुन कर सदन में भेजता है या उन अभिनेताओं से जिन्हें लोकप्रियता दिलाने में उसी आम आदमी का हाथ होता है इन लोगों से कैसे निम्न हो सकता है?
माना की अमिताभ बच्चन एक खास नागरिक और राष्ट्रीय धरोहर हैं अपने ब्लॉग पर लिखना उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है किन्तु उनकी इन बातों को प्रमुखता देना रोज़मर्रा की समस्याओं से ध्यान हटाने का प्रयास है.ये बात केवल किसी एक व्यक्ति हेतु नहीं अपितु उन सभी मंत्रियों और गणमान्य लोगों हेतु भी है जिनको अगर खरोच भी लग जाये तो अगले दिन अख़बारों के पहले पृष्ठ पर यही खबर नज़र आती है.
मीडिया को इस तरह की प्रवृत्ति से बचना चाहिए.
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