01 July 2010

क्या होगा यादों से

कुछ लोग रखते हैं
यादों को संजोकर
और
कभी हँसते हैं
कभी रोते हैं
किसी ख़ुशी में
या
किसी गम में तड़प कर
मगर क्या होगा
यादों को
सहेजे रखने से
हंसने से या रोने से
बस वर्तमान में जीना है
झूठी भावनाओं से परे
एक साधारण से आज की तमन्ना ले कर.

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