न हम होंगे न हमारी बात होगी
हर तरफ पानी से घिरी आग होगी
होगी एक बेचैनी ?
आग पानी में मिल जाएगी
या फिर
पानी को ही जला कर
मिटटी में मिला जाएगी
दुनिया देखती रहेगी
खड़े हो कर तमाशा
न सुबह होगी न दोपहर
न फिर रात ही कभी आएगी।
न हम होंगे न हमारी बात होगी
हर तरफ पानी से घिरी आग होगी
होगी एक बेचैनी ?
आग पानी में मिल जाएगी
या फिर
पानी को ही जला कर
मिटटी में मिला जाएगी
दुनिया देखती रहेगी
खड़े हो कर तमाशा
न सुबह होगी न दोपहर
न फिर रात ही कभी आएगी।
No comments:
Post a Comment