05 August 2010

अब तो दुआ भी होगी

सलाम भी होगा

जो अब तक न हुआ

वो अब काम होगा

सरे आम होगा हमारी

इज्ज़त का इम्तिहान

वो पढेंगे कसीदे

हमारी शान में

और जो

होंगे आहत

उनके हर एक पत्थर

पर हमारा नाम होगा

है नहीं

परवाह की अब क्या होगा

क्या नहीं

खा के कसम अब तो

चल दिए हैं

न मालूम

की जन्नत नसीब होगी

या के

दोज़ख के

दरवाज़े पे

हमारा पैगाम होगा.

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