बड़ी अजीब होती है
ये जीवन की राह
किस मोड़ पर ले जाए
पता नहीं
मैं आज जहाँ खड़ा हूँ
बड़ा अजीब मोड़ है
हर तरफ गड्ढे ही गड्ढे
क्यों कांटे बिछे हैं
पता नहीं
ये भावनाएं हैं
जो घुमड़ती हैं हर तरफ
चुभती हैं क्यों दिल में
पता नहीं
बड़ी अजीब होती है
ये जीवन की राह
कब खुशी कब गम
पता नहीं.
(जो मेरे मन ने कहा.....)
kya bat sachhai se likhi gayi rachna badhai
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteकभी ख़ुशी, कभी गम !...ये ही तो लाती है विविधता हमारे जीवन में।
ReplyDeleteआदरणीय सुनील जी,प्रिय माधव बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteदीदी आप सही कह रही हैं कभी खुशी कभी गम जीवन की विविधता है.जिन से चाह कर भी हमारा पीछा नहीं छूट सकता.
यशवंत जी यही जिंदगी है...कभी खुशी और कभी ग़म और कभी खुशी के साथ ग़म
ReplyDeleteआप तो लिखते ही अच्छा हैं
धन्यवाद वीना जी
ReplyDelete