''अनर्थ है कि बंधू ही न बंधू की व्यथा हरे।
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥''
उक्त पंक्तियाँ हमारे जीवन में प्रतिदिन सार्थक हैं.हम पुण्य कमाने का,परोपकार करने का हर संभव प्रयास करते हैं.क्यों कि हम मनन अथार्त सोच समझ कर कोई भी कार्य कर सकते हैं इसलिए हम मनुष्य कहलाते हैं अन्यथा मनुष्य और पशुओं में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है.मनुष्य भी भी पशुओं के सामान भोगी है अगर उसमे कुछ सोचने की सामर्थ्य न हो।
दान पुन्य कमाने का सबसे आसान और असरकारक माध्यम है.बड़े बड़े धन्ना सेठ जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अपने कर्मचारियों का शोषण करते हैं किन्तु आयकर छूट हासिल करने के लिए वे कई तरह की गैर सरकारी संस्थाएं बना कर उन के माध्यम से समाज सेवा और परोपकार का राग आलापते हैं.शोषण से कमाया गया पैसा शोषित को ही दान दे दिया जाता है और साहब का बैठे बैठे नाम भी हो जाता है कि सेठ जी तो बड़े दयालु हैं और न जाने क्या क्या।
दान सिर्फ पैसे से ही नहीं होता बल्कि हमारे शास्त्रों में तन मन धन से दान देने को कहा गया है.लेकिन शास्त्रों की बातें तो आज बस स्कूली शिक्षा तक तक सिमट कर रह गयीं हैं.खैर इन सब कि गहराई में मैं नहीं जाना चाहता.
इधर कुछ समय से दान का एक नया रूप चलन में आया है.एक ऐसा दान जिसमे इस बात का कोई भेद नहीं है कि दानी अमीर है या गरीब.और न ही दान करते समय हमारे अंतर्मन को कोई कष्ट होता है.देहदान जी हाँ अपने मृत शरीर का दान कीजिए और पुन्य कमाइए.आज जबकि अंतिम संस्कार भी खर्चीला काम हो गया है,विद्युत् शवदाह में भी असंख्य यूनिट बिजली खर्च होती है तो क्यों न प्रदूषण मुक्त दान करें और क्यों न सहभागी बनें जन कल्याण के लिए अपने मृत शरीर पर होने वाले चिकित्सकीय प्रयोगों में.कितना अच्छा होगा यदि आपके दिवंगत होने के बाद भी आप का शरीर नए आविष्कारों और क्रांतियों के काम आये.क्या इससे अच्छा कोई दान हो सकता है?
एक डॉक्टर अपने १० दिन के शिशु को पुन्य का भागी बना सकता है.(देखिये फोटो) यह उत्साहित करने वाली बात है.मान लीजिये कि आप किसी असाध्य रोग से जूझ रहे हैं तो क्या आप नहीं चाहेंगे कि इस रोग का कोई निदान उपलब्ध हो?
मैं जानता हूँ कि परम्परावादी लोगों को मेरा यह आलेख पसंद नहीं आयेगा.किन्तु परिस्थिति के अनुसार परम्परा को बदल देने में कोई हर्ज़ नहीं है।
व्यक्तिगत तौर पर मैंने देहदान का संकल्प कर लिया है.आप क्या सोचते है??
(जो मेरे मन ने कहा....)
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