आज का ये दिन
दोपहर फिर शाम
सुनहरी रात है
फिर वही सुनहरे सतरंगी सपने
क्या ये कोई नयी बात है?
हाँ नयी बात है मेरे लिए
रोज़ सुबह सूरज का उगना
देना रौशनी
और फिर लौट जाना
जगमगाने उन्हें
जहाँ अब तलक रात है।
ये बहुत अजीब सी बात है
मेरे लिए
निरन्तर चलना
घुमते रहना
अपने पथ पर
बिना थके
हर पल।
पल पल पल हर पल
अगर कभी रुक जाए समय
भूल जाए सूर्य
चलना अपनी राह
तो क्या होगा?
क्या ये भी कोई बात है-
हाँ मेरे लिए ये भी एक बात है
क्योंकि तुम्हारा जीवन दिन
और
मेरी हर सांस में रात है॥
(जो मेरे मन ने कहा........)
bahut sundar abhivyakti.
ReplyDeleteवंदना जी,शुक्रिया.मैं चाहूँगा कि आप इससे पिछली पोस्ट पर भी अपने विचार दें.
ReplyDeleteसादर
यशवंत