ये चाँद जो दीखता खूबसूरत है
दूर पृथ्वी से
क्या वाकई
इतना सुन्दर है
क्या चाँद का टुकड़ा
कह देने से
कोई इठला सकता है
अपनी सुन्दरता पर
या
ये एक भ्रमजाल है
छलावा है
ये कैसा आकर्षण?
क्या रूप ही
सब कुछ होता है..
क्या मीठा ही
अच्छा होता है..
शायद नहीं!
(जो मेरे मन ने कहा.....)
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