10 October 2010

उड़ना चाहता हूँ

(चित्र:साभार गूगल)

उड़ना चाहता  हूँ
दूर तलक
नीले आसमां में
छूना चाहता हूँ
ऊंचाइयों को


दुनिया से बेपरवाह
अपनी ही धुन में
खामोश आसमां
को गुंजा देना चाहता हूँ
अपनी आवाजों से

मैं उड़ना चाहता हूँ
जाना चाहता हूँ
देखना चाहता हूँ
क्षितिज के उस पार की
अनोखी दुनिया को

कर देना चाहता हूँ
अपने सारे सपनों को सच
मैं
उड़ना चाहता हूँ
दूर तलक
ज़मीं पे रहते हुए





(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)

4 comments:

  1. .

    beautiful poem !...Full of hope !

    .

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  2. बहुत खूबसूरत...खूबसूरत आकांक्षाओं के साथ...
    आपके सारे स्वप्न सच हो...

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  3. जरूर उडो हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। सपनो को सच करने का उत्साह बनाये रखना।

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  4. मैं
    उड़ना चाहता हूँ
    दूर तलक
    ज़मीं पे रहते हुए
    सच है ज़मीन छोड़ क्र उड़ने वाला कहीं का नहीं रह जाता बधाई

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