हम भी कभी बच्चे थे
हँसते थे मुस्काते थे
कभी लड़ते झगड़ते थे तो
कभी एक हो जाते थे
हाथी घोड़े भालू बन्दर
छुक छुक गाड़ी में बैठे अन्दर
सुन्दर गीत गाते थे
भेदभाव सब भूल हम
मिलजुल खाना खाते थे
एक दूसरे को गले लगा कर
मिल कर गाना गाते थे
वैसे दिन अब कहाँ
वैसी खुशी अब कहाँ
बस्ते में दब रहा है बचपन
वैसा सुकून अब कहाँ
वो बचपन की मीठी यादें
अब भी मन में आती हैं
ख्वाबों में सब सच हो जातीं
सुबह हो धुंधला जाती हैं
कभी न करते कोई बहाना
खुशी खुशी स्कूल को जाते थे
हम भी कभी बच्चे थे
हँसते थे मुस्काते थे.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
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कभी न करते कोई बहाना
ReplyDeleteखुशी खुशी स्कूल को जाते थे
हम भी कभी बच्चे थे
हँसते थे मुस्काते थे...
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I still smile and laugh.
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truly brilliant..
ReplyDeletekeep writing......all the best
nice........
ReplyDeletebahut achha likha yashwant... sachmuch bachpan ki har yaad chehare par muskurahat le aati hai...
ReplyDeleteयशवंत भैया .... मैं बहुत खुश हूँ.... एक तो बचपन की कविता के लिए और दूसरा आपने प्रोफाइल फोटो बहुत ही बढ़िया लगाया है... ये आप ही हो न....
ReplyDeleteवा भई यशवंत लगे रहो ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ........
ReplyDeleteकाश कि वही बचपन फिर से लौट आये। सुन्दर रचना। बधाई
ReplyDeleteप्रिय चैतन्य,रिमझिम,आदरनीया निर्मला जी,दिव्या जी,मोनिका जी,आदरणीय संजय जी,शरद जी,रविन्द्र जी इस कविता को पसंद करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteचैतन्य--हाँ ये मेरे बचपन का फोटो है.इसे अब प्रोफाइल पर लगा लिया है.
bachpan ki yaad dilati rachna!
ReplyDeleteye yaadein kabhi na dhoondhli hon!
Thanks Anupama ji.
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