(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
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चलते चलना है
ReplyDeleteठोकरें खानी है
उठना है
संभलना है
नहीं तनिक विश्राम इस पर
ये जंग ए ज़िन्दगी की राह है
सुन्दर प्रेरक रचना। बधाई।
चलते चलना है
ReplyDeleteठोकरें खानी है
उठना है
संभलना है
यश(वन्त)जी आपने तो समा बाँध दिया ...बहुत ही ख़ूबसूरत रचना.
बस चलते चलना है
ReplyDeleteनिरंतर....
Miles to go before I sleep !
This reminds me of Robert Frost... Forest are lovely dark and deep ....
बिलकुल सही कहा है.....
ReplyDeleteचलते जाना ही जिन्दगी है ...
बहुत सुन्दर रचना !
chalte chalen!
ReplyDeletesundar rachna!
shubhkamnayen....
मीलों दूर
ReplyDeleteचलना है
चलते चलना है
ठोकरें खानी है
उठना है
संभलना है
नहीं तनिक विश्राम इस पर
ये जंग ए ज़िन्दगी की राह है
बहुत ही अर्थपूर्ण और आशावादी सोच के साथ संघर्ष की बात .... अच्छा लगा पढ़कर....
सुन्दर, चरैवैति-चरैवैति....
ReplyDeleteआदरणीया निर्मला जी,हरदीप जी,अनुपमा जी,मोनिका जी,संजय जी एवं श्याम जी,आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद इस कविता को पसंद करने के लिए.
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