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10 November 2010

ज़िन्दगी

(फोटो:गूगल से साभार )

 ज़िन्दगी
कुछ लोगों के लिए
हसीं किताब होती है
और कुछ लोग
पलटते रहते हैं
काले स्याह पन्नों को
क्योंकि 
सच की कालिख 
कभी मिटती नहीं है.



12 comments:

  1. यशवंत भाई, जिंदगी को करीब से देखा है आपने, तभी इतनी सटीक बात कही।

    ---------
    इंटेली‍जेन्‍ट ब्‍लॉगिंग अपनाऍं, बिना वजह न चिढ़ाऍं।

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  2. सच तो सदा ही सचेत करता रहता है...
    उसे कौन बिसार सका है!

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  3. सच की कालिख कभी मिटती नहीं है...

    वाह, बहुत खूब।

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  4. सच की कालिख
    कभी मिटती नहीं है.
    बहुत सुंदर...बहुत अर्थपूर्ण.....

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  5. ज़िन्दगी
    कुछ लोगों के लिए
    हसीं किताब होती है
    और कुछ लोग
    पलटते रहते हैं
    काले स्याह पन्नों को
    क्योंकि
    सच की कालिख
    कभी मिटती नहीं है.

    Very nice.

    .

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  6. 'सच की कालिख
    कभी मिटती नहीं है'
    सत्य वचन ,
    बहुत खूब !

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  7. क्योंकि
    सच की कालिख
    कभी मिटती नहीं है'
    ...........सत्य वचन
    बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  8. सच की कालिख
    कभी मिटती नहीं है.
    ...kam hi shabdon me kamal ki baat kah di aapne.

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  9. सुन्दर रचना!
    इस पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी है!
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/335.html

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  10. आदरणीय जाकिर जी,अनु जी,महेंद्र जी,मोनिका जी,दिव्या जी,अल्पना जी,संजय जी,संगीता जी,अरविन्द जी एवं शास्त्री जी--बहुत बहुत धन्यवाद आप के उत्साहवर्धन के लिए.

    शास्स्त्री जी-चर्चा मंच मेरी इन पंक्तियों को स्थान देने के लिए आप का विशेष आभार.

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  11. बेहद सशक्त भाव लिए हुए. सही कहा आपने सच कि कालिख मिटती नहीं.

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