(चित्र साभार:गूगल इमेज सर्च) |
बड़ा अजीब होता है
ये वक़्त का पहिया
हर दम चलता रहता है
बिना रुके
साँसों के संग
क्या क्या देखता है
क्या क्या दिखाता है
जीवन के अनगिनत
कुछ सदृश
कुछ
अदृश्य रंग.
कभी खेलता है
खुशियों की होली
कभी गम की बारिश में
भीगता है
भिगाता है
बिना रुके हरदम
वक़्त का पहिया
चलता जाता है.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
वक्त हमेशा आगे रहता है ...अनवरत चलता जाता है ..
ReplyDeleteसही लिखा है भैया ....बढ़िया रचना है.पसंद आई.
ReplyDeleteयशवन्त भाई,
ReplyDeleteकैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब........
चलता भी रहना चाहिए ... :).. ये ही जीवन है... बहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeleteanwarat chalaymaan waqt ke pahiyon par sundar bhaav udela hai!
ReplyDeleteshubhkamnayen!
आपने तो सटीक काव्यमय परिभ्हाषा गढ दी।
ReplyDeleteजीवन के हर हाल में गतिमान और गतिशील रहने की अकाट्य सच्चाईयों को वक्त के पहिए के बिब के द्वारा बखूबी उभारा गया है. सटीक और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
sundar prastuti !
ReplyDeleteकभी खेलता है
ReplyDeleteखुशियों की होली
कभी गम की बारिश में
भीगता है
भिगाता है
बिना रुके हरदम
वक़्त का पहिया
चलता जाता है....वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
यह तो बहुत सुन्दर कविता है...बधाई.
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी,वीरेंद्र जी,संजय जी,क्षितिजा जी,अनुपमा जी,मनोज जी डोरोथी जी,दिव्या जी,रानी जी और डियर पाखी-आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteवक्त किसीके लिए नहीं रुकता है ... सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबाल दिवस की शुभकामनायें !