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17 November 2010

नहीं मिले वो पल


वो पल
जिनमें सुकून होता है
संतुष्टि होती है
जो दिखाते हैं 
आइना 
कुछ पाने का 
जिन से मिलती है प्रेरणा 
कुछ कर गुजरने की 
नहीं मिले 
अब तक -
क्योंकि 
संघर्षों के साथ 
कभी 
चलना है
कभी दौड़ना है  
गिरना है 
संभलना है 
सब कुछ झेलना है
यूँ ही
शायद   
एक अंतहीन समय तक!

10 comments:

  1. चलना ही जीवन का दूसरा नाम है। पड़ाव मतलब अंत....चलते रहिए, रास्ते अपने आप मिलेंगे। अच्छा ..बहुत अच्छा लिखा है...

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  2. बहुत सटीक प्रसंग बताया है ये तो होता ही है ... .
    जोरदार प्रस्तुति...... आभार

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  3. ागर सच्चे मन से अपने आत्मविश्वास से चलते रहो तो बहुत साथी मिल जाते हैं\ अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें।

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  4. ..मेरा मन कहता है कि आपको सफलता जरूर मिलेगी। हाँ जिन पलों की आपको तलाश है वो आएंगे आपकी जिंदगी में, दो पल का सुकून भी मिलेगा लेकिन फिर शुरू हो जाएगी दूसरी मंजिल की भागदौड़..किसी मंजिल पर ठहरना और सोचना कि क्यों न सफर को ही मान लें जिंदगी के सबसे अच्छे पल!

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  5. sangharshpoorna path par chalne ki prerna sada milti rahe... manjil bhi milegi!

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  6. बस चलते चले जाईये......चलने में भी सुकून बहुत मिलता है.

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  7. अगर संघर्षों का सामना भी साहस और धैर्य के साथ किया जाए तो वे खुद प्रेरणा का स्त्रोत बन जाते है, भाई .....शुभकामनाएँ !!

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  8. संघर्षों के साथ
    कभी
    चलना है
    कभी दौड़ना है
    गिरना है
    संभलना है
    सब कुछ झेलना है
    यूँ ही
    शायद
    एक अंतहीन समय तक!

    बहुत सुंदर प्रेरणादायी

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना. शुभकामनाएं.

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  10. आदरणीया वीना जी,संजय जी,निर्मला जी,देवेन्द्र जी,अनु जी,वंदना जी,रानी जी, मोनिका जी एवं ज़मीर जी -आप सभी के विचारों एवं टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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