20 November 2010

वाह क्या बात है


(फोटो साभार:गूगल इमेज सर्च)
है मुझमें वो हिम्मत किसी पर भी गुर्रा सकता हूँ
इंसानी शिशुओं को
क्षण भर में थर्रा सकता हूँ


मंत्री, संतरी हो या नेता,कोई फ़कीर
चिथड़ों में कोई लिपटा हो या हो साहब कोई अमीर
सब पर चला सकता हूँ मैं
अबूझ जुबानी तीर

मत कहना मुझे 'कुत्ता'-
ये मेरा अपमान है
मेरा भी है अपना बिस्तर और बैड रूम  
क्योंकि मालिक मेहरबान है
वो मुझ पर कुर्बान है

आवारा गलियों में भटकूँ
पागल बन काटूँ,तो भी मैं ख़ास हूँ
मैं संगमरमरी महलों की
संपन्नता का एहसास हूँ

तुम इन्सान हो !
अरे बता दो ! तुम्हारी क्या बिसात है ?
मैं टॉमी,हैरी,टफी,जैकी या शेरू किसी का 
मेरी भी एक हैसियत 
मेरी भी औकात है 

वाह क्या बात है  




विशेष :-कल के 'हिन्दुस्तान' में "कुत्ते भी अब लगायेंगे डियोड्रेंट" शीर्षक समाचार पढ़ कर यही  विचार मन में आये.

12 comments:

  1. आवारा गलियों में भटकूँ
    पागल बन काटूँ,तो भी मैं ख़ास हूँ
    मैं संगमरमरी महलों की
    सम्पन्नता का एहसास हूँ

    बेहतरीन........

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  2. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  3. insaan se uski bisaat poochti kutte ki aatmvishwaspoorna baatein:)
    waah!

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  4. .

    बेहद सुन्दर प्रस्तुति !

    .

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  5. वाह क्या बात है....बेहद अच्छी.....

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  6. Kya bat hai, Mat kahna aaj ke bad kutte ko kutta , kyonki uski bhi ahamiya kuch khash hai.

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  7. आपके ब्लॉग पर आकार बहुत अच्छा लगा
    सुन्दर प्रस्तुति !

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  8. वाह क्या बात है--संगीत के साथ पढ़ने..मिले तो बात ही क्या है ...
    (मुझे भी जानना है ये कैसे होता है?)...

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  9. आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!

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