फिर एक नया दौर
कुछ आशाओं का
महत्वाकांक्षाओं का
कुछ पाने का
कुछ खोने का
नीचे गिरने का
उठ कर संभलने का
उसी राह पर
एक नयी चाल चलने का
ये नया दौर
क्या गुल खिलायेगा
कितने सपने
सच कर दिखाएगा
दिल के बुझे चरागों को
क्या नयी रोशनी दिखाएगा
नहीं पता.
नहीं पता -
क्या होगा
क्या नहीं
वक़्त की कठपुतली बना
मैं चला जा रहा हूँ
एक नए दौर की ओर
नए दौर की ओर
जहाँ
पिछले दौर की तरह
चलता रह कर
फिर से इंतज़ार करूँगा
एक और
नए दौर का.
यह क्रम तो निरंतर चलता ही रहता है....
ReplyDeleteसंघर्षरत कदमों को सदा नयी उर्जा मिलती रहे!!!
शुभकामनायें!!!!
वक़्त की कठपुतली बना
ReplyDeleteमैं चला जा रहा हूँ
एक नए दौर की ओर
हम सब वक्त की हाथों की कठपुतली ही तो हैं....फिर भी विश्वास ही वह मजबूत कड़ी है जो हमारे विचारों को दृढ़ बनाती है। इसे कही खोने मत देना।...सुंदर रचना
यह विश्वास आपके दिल में पर्वत की तरह अटल रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपको जन्मदिन की भी ढेर सारी बधाई और यही दुआ है कि आप नित नई ऊंचाइयों को छुएं और अपना व अपने मां-पापा का नाम रोशन करें...
प्रिय यशवंत ,
ReplyDeleteजैसाकि,वीनाजी ने आशा व्यक्त की है तुम्हें सदैव आत्म -विश्वास बनाय रखना होगा तथा भय व प्रशंसा से परे अपने कर्म में जुटे रह कर सफलता प्राप्त करना होगा -यही हमारा आशीर्वाद भी है और उम्मीद भी.
जिंदगी के हर दौर में गतिमान और गतिशील रहने में ही जीवन की सार्थकता छुपी हुई है. गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर
डोरोथी.
यशवंत भाई, यह नया दौर जल्द आए यही कामना है।
ReplyDelete---------
ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।
यह क्रम ही जीवन है..... आशावादी सोच से परिपूर्ण पंक्तियाँ
ReplyDeleteबस सकारात्मक सोच लिये चलते रहें बदलाव तो प्रकृ्ति का नियम है। उमदा रचना।शुभकामनायें।
ReplyDeleteआदरणीया अनु जी वीना जी,पापा जी,डोरोथी जी,मोनिका जी एवं निर्मला जी....आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteवीना जी...आपने मेरा जन्मदिन याद रखा .....मैं उम्मीद करता हूँ कि आप का आशीर्बाद और स्नेह आगे भी यूँ ही बना रहेगा.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... जल कर ढहना कहाँ रुका है ?
bahut sundar rachna...
ReplyDeleteवाह सर...बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteबेहतरीन ....
सादर.
सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई रचना ....
ReplyDeleteते तो एक सिलसिला है अनवरत
ReplyDeleteफिर से इंतज़ार करूँगा
ReplyDeleteएक और
नए दौर का.
इन्तजार कब ख़त्म होता है...
बढ़िया रचना...
बहुत बढ़िया, कदम बढ़ेंगे तभी तो मंजिल मिलेगा.
ReplyDeleteआद्योपांत संवाद की छटा प्रभावित करती है
ReplyDeleteभूत-वर्तमान-भविष्य विषय पर सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई यशवंत भाई
बहुत सुंदर .... फिर से इंतज़ार करूँगा
ReplyDeleteएक और
नए दौर का.......चलते रहिये ...सबको चलाते रहिये .....चलना ही जिंदगी है
नया दौर अवश्य खुशियोंभरा होगा । सुंदर रचना ।
ReplyDelete