वो जिनके नाम कर रखी हैं
हमने अपनी साँसें
आज रूठ कर चले गए हैं
न जाने कहाँ
आवाज़
यूँ तो हम उनको
बहुत देर से दे रहे हैं
समझ कर बेवफा वो
रो रहे हैं
है मालूम उन्हें भी कि
असल मोहब्बत तो वही हैं
फिर भी चाहते हैं
इज़हार हम ही करें
बेचैन दिल है
और शायद दिमाग भी है
शायद हम ही अब अपनी
वफ़ा खो रहे हैं
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premmayi sundar abhivyakti .
ReplyDeleteयही प्रेम होता है.... प्रेमपगी पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteएक ही शब्द..बहुत खूब...चाहत में देर किस बात की...वफा खोने से पहले इजहार करिए...वर्ना शायरी ही रह जाएगी...सिर्फ एक सलाह है... वैसे आपकी रचना बहुत अच्छी है, प्रेम को व्यक्त करती...
ReplyDeleteयही तो है प्यार......दिल और दिमाग की जंग भी.
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteLAJWAAB LIKHA HAI YASHWANT BHAI
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