(1)
सिगरेट! अगर तू न होती
तो बच जाता मैं भी
बगल वाले नेता जी के
मुहं से निकलने वाले
अजीब से
धुंए से
जो मुश्किल कर देता है
जाड़े की गुनगुनी धूप में
दो पल का मेरा बैठना
(२)
सिगरेट! अगर तू न होती
तो कितने ही
कैंसर न पनपते
झोपड़ियों और महलों में
रहने वाले
न रोते,न कलपते
पर तू है!
और तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
नए किशोरों का
जो भटक जाते हैं
तेरे छलावे में
काश! के कुछ होठों पे
नयी मुस्कान होती
सिगरेट! अगर तू न होती
(चित्र साभार:गूगल इमेज सर्च) |
सिगरेट! अगर तू न होती
तो बच जाता मैं भी
बगल वाले नेता जी के
मुहं से निकलने वाले
अजीब से
धुंए से
जो मुश्किल कर देता है
जाड़े की गुनगुनी धूप में
दो पल का मेरा बैठना
(२)
सिगरेट! अगर तू न होती
तो कितने ही
कैंसर न पनपते
झोपड़ियों और महलों में
रहने वाले
न रोते,न कलपते
पर तू है!
और तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
नए किशोरों का
जो भटक जाते हैं
तेरे छलावे में
काश! के कुछ होठों पे
नयी मुस्कान होती
सिगरेट! अगर तू न होती
बिल्कुल सही कहा…………सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
भाई यशवन्त, बहुत ही बढिया रचना, बधाई।
ReplyDeleteबहुत बडिया। सिगरेट ने तो न जाने कितने लोगों को बर्बाद किया। फिर भी कोई समझता नही। शुभकामनायें।
ReplyDeleteसन्देशपूर्ण!
ReplyDeleteपर तू है!
ReplyDeleteऔर तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
नए किशोरों का
जो भटक जाते हैं
तेरे छलावे में
पर तू है!
और तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
नए किशोरों का
जो भटक जाते हैं
तेरे छलावे में
बहुत सुंदर ...सन्देश देती रचना.....
काश! के कुछ होठों पे
ReplyDeleteनयी मुस्कान होती
सिगरेट! अगर तू न होती
न जाने कितने घरों को बर्बाद किया है और न जाने कितनी जानें ली हैं इसने...सच में कितने ही होठों पर मुस्कान होती अगर ये नहीं होती। बहुत सार्थक और सारगर्भित रचना...बधाई
बहुत सुन्दर रचना .बधाई !
ReplyDeleteइस विषय पर ग्राम चौपाल में पढ़े -------सावधान :सवा अरब तंबाकू पीने वाले पौने पांच अरब लोगों को " पैसिव स्मोकिंग " के लिए कर रहे मजबूर
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता.
ReplyDeleteसंदेशपूर्ण प्रेरक सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteपर तू है!
ReplyDeleteऔर तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
..........सुंदर सन्देश
काश! ये बात सिगरेट पीने वाले भी समझ जाए तो कितना अच्छा हो......बहुत बढ़िया सन्देश......
ReplyDeleteawesome creation...!! young generation will be surely affected .. thanks for bringing SmiLE...
ReplyDeleteawesome creation......... modern generation will be surely affected..!!!!!! thanks for bringing a SmiLe for me......!!!
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