हंसाती कम, रूलाती ज्यादा है ज़िन्दगी
टूटे कांच के ढेर पर, ठौर सजाती है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी हसीं किताब है, जिसके हर हर्फ़ में शिकवे हैं
पल भर में अर्श को,सिफर बना देती है जिंदगी
क्या कहूँ कि इतना नादाँ भी नहीं हूँ मैं
समझा यही फलसफा कि बेवफा है ज़िन्दगी.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
भाई आप ऐसी ऐसी सोच कहाँ कहाँ से लाते हो
ReplyDeletebahut hi achchi abhvyakti jindi ko lekar .
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..... बस यही ज़िन्दगी है....
ReplyDeleteहंसाती कम, रूलाती ज्यादा है ज़िन्दगी
ReplyDeleteटूटे कांच के ढेर पर, ठौर सजाती है ज़िन्दगी
बस यही है ज़िन्दगी।
जिंदगी को लिखते समझते रहें...
ReplyDeleteशुभकामनायें!
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteहंसाती कम, रूलाती ज्यादा है ज़िन्दगी ...एकदम सच कहा है आपने !
यह सच है कि हंसाती कम रुलाती ज्यादा है जिंदगी
ReplyDeleteजिस नजरिए से देखो वही लगने लगती है जिंदगी
लेकिन ऐसे सबक भी देती है जिसकी जरूरत हर कदम पर पड़ती है...
इसलिए बेवफा मत कहिए...आप जीवन से वफा कीजिए जिंदगी आपसे वफा करेगी....
क्या कहूँ कि इतना नादाँ भी नहीं हूँ मैं
ReplyDeleteसमझा यही फलसफा कि बेवफा है ज़िन्दगी
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ज़िन्दगी की हक़ीक़त बयान करता हुआ मेरा एक शेर:-
ज़िन्दगी जीना है गर आसान तो मुश्किल भी है,
इस तरफ तूफ़ान है तो उस तरफ साहिल भी है.
बस यही ज़िन्दगी है
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
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