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08 December 2010

फिर न वापस आऊंगा.

जी लेने दो
दो पल सुकून के
फिर मैं चला जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापिस आऊंगा

मैं भटकुंगा
तंग गलियों में
दुनिया के शोर शराबे में
मैं चीखूंगा
चिल्लाऊंगा
पर कहीं नज़र न आऊंगा

इस कोलाहल से
गुज़र  कर
पूर्व सुनिश्चित सा
ठिठक कर
थाम लूँगा तन्हाई का हाथ
फिर आगे बढ़ता जाऊँगा

बस कुछ ही क्षण
मैं पास  तुम्हारे
दो पल का सुख लेने दो
अंतहीन सफ़र की है शुरुआत
हाथ थाम
मुझे चूम लेने  दो

ताजी हवा के
इस झोंके में
देखो अब मिल जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापस  आऊंगा.

21 comments:

  1. गुजरा हुआ ज़माना आता नही दोबारा…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. सच कभी नहीं लौटता बीता वक्त.... बेहतरीन प्रस्तुति....

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  3. Aur fir ban kar k ek yaad har lamha tumhara tumse churaayunga...

    Aaj mujhse nazar fer rahe ho tum,kal ro doge jab lakh koshish pe bhi nahi mil payunga...

    I simply loved dis poem of urs :)

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  4. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  5. जल्दी मे इतना ही कहूँगी कि बेहतरीन रचना । शुभकामनायें।

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  6. बीता वक्त फिर नहीं आता ..और हम भी वक्त के साथ बीतते जाते हैं ..

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  7. बेहतरीन रचना, शुभकामनायें!

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  8. यशवंत जी
    दो पल सुकून के
    फिर मैं चला जाऊँगा
    तुम ताकोगे राह मेरी
    फिर न वापिस आऊंगा
    जिन्दगी की वास्तविकता को समझाने का प्रयास आपने बखूबी किया है ..हर पंक्ति गहरे अर्थ पेश करती है ...शुक्रिया
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    कुछ ऐसे ही भावों से सजी ग़ज़ल मैंने चलते -चलते पर प्रस्तुत की है ...आशा है अआप्को पसंद आएगी
    http://mohallachalte-chalte.blogspot.com/

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  9. बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति ... गहरे भाव ...

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  10. कित्ती प्यारी रचना है...बधाई.
    ______________
    'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

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  11. सुन्दर मनुहारी रचना

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  12. जीने लेने दो
    दो पल सुकून के
    फिर मैं चला जाऊँगा
    तुम ताकोगे राह मेरी
    फिर न वापिस आऊंगा

    गया समय फिर नहीं आता..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  13. यशवंत भाई, आपकी बातें मन के तारों को झंकृत कर गयीं, बधाई।

    ---------
    त्रिया चरित्र : मीनू खरे
    संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।

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  14. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  15. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05-04-2012 को यहाँ भी है

    .... आज की नयी पुरानी हलचल में ......सुनो मत छेड़ो सुख तान .

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  16. देखो अब मिल जाऊँगा
    तुम ताकोगे राह मेरी
    फिर न वापस आऊंगा.itni badi priksha ??????/ bahut acchi abhiwyakti.

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  17. सच ही तो है ...लोग चले जाते हैं ...केवल यादें कचोटती हैं .....और कुछ न कर पाने , कुछ न कह पाने की पीड़ा रह जाती है ......समय से यह एहसास दिलाती , भावपूर्ण रचना !

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  18. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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