जी लेने दो
दो पल सुकून के
फिर मैं चला जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापिस आऊंगा
मैं भटकुंगा
तंग गलियों में
दुनिया के शोर शराबे में
मैं चीखूंगा
चिल्लाऊंगा
पर कहीं नज़र न आऊंगा
इस कोलाहल से
गुज़र कर
पूर्व सुनिश्चित सा
ठिठक कर
थाम लूँगा तन्हाई का हाथ
फिर आगे बढ़ता जाऊँगा
बस कुछ ही क्षण
मैं पास तुम्हारे
दो पल का सुख लेने दो
अंतहीन सफ़र की है शुरुआत
हाथ थाम
मुझे चूम लेने दो
ताजी हवा के
इस झोंके में
देखो अब मिल जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापस आऊंगा.
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गुजरा हुआ ज़माना आता नही दोबारा…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletebhaavpurn...sundar.
ReplyDeleteसच कभी नहीं लौटता बीता वक्त.... बेहतरीन प्रस्तुति....
ReplyDeleteAur fir ban kar k ek yaad har lamha tumhara tumse churaayunga...
ReplyDeleteAaj mujhse nazar fer rahe ho tum,kal ro doge jab lakh koshish pe bhi nahi mil payunga...
I simply loved dis poem of urs :)
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
जल्दी मे इतना ही कहूँगी कि बेहतरीन रचना । शुभकामनायें।
ReplyDeleteबीता वक्त फिर नहीं आता ..और हम भी वक्त के साथ बीतते जाते हैं ..
ReplyDeletebhavon se bhari sundar kavita .
ReplyDeleteबेहतरीन रचना, शुभकामनायें!
ReplyDeleteयशवंत जी
ReplyDeleteदो पल सुकून के
फिर मैं चला जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापिस आऊंगा
जिन्दगी की वास्तविकता को समझाने का प्रयास आपने बखूबी किया है ..हर पंक्ति गहरे अर्थ पेश करती है ...शुक्रिया
xxxxxxxxxxxxxxxxxxx
कुछ ऐसे ही भावों से सजी ग़ज़ल मैंने चलते -चलते पर प्रस्तुत की है ...आशा है अआप्को पसंद आएगी
http://mohallachalte-chalte.blogspot.com/
बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति ... गहरे भाव ...
ReplyDeleteकित्ती प्यारी रचना है...बधाई.
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
सुन्दर मनुहारी रचना
ReplyDeleteजीने लेने दो
ReplyDeleteदो पल सुकून के
फिर मैं चला जाऊँगा
तुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापिस आऊंगा
गया समय फिर नहीं आता..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
यशवंत भाई, आपकी बातें मन के तारों को झंकृत कर गयीं, बधाई।
ReplyDelete---------
त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
bhaavpoorna rachna!
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05-04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ......सुनो मत छेड़ो सुख तान .
देखो अब मिल जाऊँगा
ReplyDeleteतुम ताकोगे राह मेरी
फिर न वापस आऊंगा.itni badi priksha ??????/ bahut acchi abhiwyakti.
सच ही तो है ...लोग चले जाते हैं ...केवल यादें कचोटती हैं .....और कुछ न कर पाने , कुछ न कह पाने की पीड़ा रह जाती है ......समय से यह एहसास दिलाती , भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
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