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10 December 2010

डूबता सूरज















 (1)

अक्सर जब देखता हूँ
डूबते हुए सूरज को
सोचता हूँ
काश
ये न डूबता
ये यूँ ही रहता
धरती के इसी तरफ
मेरी नज़रों के सामने
काश कि 
रात का घना अँधेरा न होता
काश कि वक़्त ठहरा होता
मगर नहीं
सूरज को डूबना ही है
कहीं और प्रकाश देना ही है
ये चक्र चलना ही है

(2)

ये डूबता हुआ सूरज
अँधेरे की निशानी
छोड़ देता है
एक मौका देता है
कुछ सोचने का
कुछ समझने का
ये विश्राम नहीं 
चलना ही है
विचारों का घुमड़ना ही है

(3)

ये डूबता सूरज
बादलों की ओट में
लुक छिपकर
एहसास कराता है
कुछ पाने का
कुछ खोने का

(4)

ये डूबता सूरज
बिछुड़ने का दर्द देता है
लोग देखते हैं
और खुश होते हैं
नज़रों से ओझल होते
डूबते सूरज को देख कर
और फिर सलाम करते हैं
अगली सुबह
उगने वाले नए
सूरज को देख कर

न जाने मुझे क्यों ऐसा लगता है
डूबता हुआ सूरज बहुत अच्छा लगता है

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