प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

15 December 2010

परछाई

(Photo Curtsy:Google Image Search)


जब कभी बोझिल सा
महसूस करता हूँ खुद को
देखता हूँ ज़मीं पर
पड़ने वाली परछाई को
दो कदम चलता हूँ
कुछ आगे
कुछ पीछे
ये परछाई
मेरे साथ ही रहती है
मैं बातें करता हूँ
अपनी ही परछाई से
जो मन में आता है
कह देता हूँ  
कभी कुछ अच्छा
कभी कुछ बुरा
जीवन की ऊंची नीची
राहों पर
सच्चे दोस्त की तरह
ये परछाई 
मेरे साथ रहती है
हर सुख में
हर दुःख में
 उन अपनों से बेहतर है
जो साथ छोड़ देते हैं
उगल देते हैं
एक दूसरे के दबे छुपे राज़
ये परछाई
सबसे अच्छी
साथी है  
सबके साथ देती है. 
जीवन के अंत तक

22 comments:

  1. Even ur shadow follows u untill its shiny outside..andhere me parchhai bhi sath nahi deti.. lovely lines :)

    ReplyDelete
  2. सुन्दर शब्दों में सहेज लिया आपने अपने मन की बात को........बधाई.

    'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
    hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.

    ReplyDelete
  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (16/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

    ReplyDelete
  4. अंधेरे में वह भी साथ छोड़ देती है। ईश्वर आपके जीवन में कभी अंधकार न लाए..न कभी ऐसा हो पर सच तो यही है कि अंधेरे में परछांई भी साथ छोड़ देती है..बस मन आपका साथ नहीं छोड़ता .....

    खैर रचना तो बहुत अच्छा है...वैसे सबसे ज्यादा तो साथ निभाती ही है.....

    ReplyDelete
  5. परछाई का साथ होना बड़ा सुन्दर विम्ब है...!

    ReplyDelete
  6. सही कहा इनसे सच्चा और कोई साथी नहीं मिलता जिंदगी में.

    ReplyDelete
  7. sundar blog hai ..
    sundar sankalan ..

    ReplyDelete
  8. बहुत खूबसूरती से बात कही है ...परछाईं से बातें करना ..अच्छा लगा

    ReplyDelete
  9. bahut gahrayi se man ka manthan kiya hai aur sunder kavita ka srijan. badhayi.

    ReplyDelete
  10. बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

    ReplyDelete
  11. सही कहा...

    परछाईं से वफादार और कोई साथी नहीं दुनिया में..

    ReplyDelete
  12. प्यारी है परछायी से प्रीत
    सबसे प्यारी है ये मीत
    सुन्दर लगा आपका गीत
    पर छूट्ना तो है जग की रीत

    ReplyDelete
  13. जो साथ छोड जाये वो तो अपने हो ही नहीं सकते । सुन्दर अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
  14. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  15. परछाईं से बातें करना ..अच्छा लगा

    ReplyDelete
  16. अपनी ही परछाईं से बात करना अच्छा लगता है, पर अंधकार में यह भी तो साथ छोड़ देती है...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  17. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में ...किस मन से श्रृंगार करूँ मैं

    ReplyDelete
  18. वो साथी से जहाँ बात करने में कहीं कोई दुविधा ना हों और हर बात हम कह लें बिना झिझक के ,ऐसी ही एक साथी परछाई.....सुंदर रचना ....

    ReplyDelete
  19. बाँसुरी की मोहक धुन ने सबकुछ बिसरा दिया.

    ReplyDelete
  20. अपनी परछाई ही साथ रहती है ..बेहद भावपूर्ण रचना....शुभकामनायें

    ReplyDelete
+Get Now!