प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

17 December 2010

आवाज़

[फोटो साभार:गूगल इमेज सर्च ]
आधी रात के सन्नाटे में 
घड़ी की टिकटिक और 
सुबह सुबह                                                  
गूंजती मुर्गे की बांग 
आसमां से बाते करती 
चिड़ियों की उड़ान 
कानों से लगती 
सर्द हवा की ठिठुरन 
कंपन करता शरीर और 
दाँतों का किटकिटाना
बगल की लाइन से गुज़रती
रेलों का आना जाना 
सर के ऊपर से जाते
जहाज़ को एकटक निहारना
तिराहों चौराहों पर 
धूंआँ फेकते वाहनों की चिल्लपों
और उनमे  बजता 
एफ एम का सुरीला गाना
कहीं टीवी पर सास बहू सीरियल  
कहीं के बी सी 
कहीं एक्सक्लूसिव न्यूज़ का आना
सड़क पर लगती झाड़ू की सर सर 
किसी का चीखना
किसी का चिल्लाना 
गली के कुत्तों का देखते ही गुर्राना
किसी नन्हे से बच्चे की 
मोहक सी मुस्कान 
और अचानक से उसका खिलखिलाना
पार्क में बने मंदिर से आती 
 घंटों की आवाज़ 
 पीछे की मस्जिद से  
गूंजती  अजान 
सबका अपना अपना बखान 
आपस में बतियाते जाते 
विद्यार्थी
हाथों में  हाथ डाले युगल 
छिड़ी है सबकी तान 
कुछ मीठी 
कुछ तीखी
कुछ मन को भाने वाली 
कुछ दिल को जलाने वाली 

आवाज़ !!!!!

बहुत अजीब होती है :)

14 comments:

  1. अपने मन मे उठी लहरों को सुन्दर शब्द दिये हैं। बधाई।

    ReplyDelete
  2. सोचिये अगर ये आवाज़ें ना हों तो?
    कैसा लगेगा?
    एक खामोश संसार की कल्पना कीजिये तब आवाज़ें अजीब नही लगेंगी तब यही आवाज़ें जीवन का संगीत लगेंगी।

    ReplyDelete
  3. ...........yashwant bhai jawaab nahi aapka
    bahut hi sunder rachna

    ReplyDelete
  4. आदरणीय वंदना जी !यहाँ आवाजों के अजीब होने का मेरा आशय यह है कि कुछ आवाजें हमें अच्छी लगती हैं और कुछ आवाजों को हम सुनना नहीं चाहते लेकिन हमें सुनना पड़ता है.ये बात जीवन के विषय में भी लागू होती है ज़रूरी नहीं कि सब कुछ वही हो जो हम चाहें.हमारी आकांक्षाओं के विपरीत भी कुछ हो सकता है और हमें खुदको हर स्थिति के लिए तैयार रखना चाहिए.
    हालांकि मैंने सोचकर नहीं लिखा लेकिन यहाँ "आवाज़" बहुत सी बातों का प्रतीक हो सकती है.

    ReplyDelete
  5. aavaj ko lekar likhi gayi yah kavita bahut hi achchhi lagi .

    ReplyDelete
  6. छिड़ी है सबकी तान
    कुछ मीठी
    कुछ तीखी
    कुछ मन को भाने वाली
    कुछ दिल को जलाने वाली

    वाकई कुछ तो सुरीली होती हैं और कुछ तीखी-कर्कश-तेज कानों को चुभने वाली...कुछ के सुनने से मन प्रसन्न हो जाता है और कुछ को सुनकर सिर दुखता है....ये सारी आवाजें जीवन का अंग बन चुकी हैं....बहुत सुंदर रचना...

    ReplyDelete
  7. भिन्न कंपन... विभिन्न आवाजें...
    कुछ अपनी सी!
    सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  8. इन अजीब आवाजों के बिना सोचो तो जिंदगी कितनी अजीब होती होगी!

    ReplyDelete
  9. very nice...
    mere blog par bhi sawagat hai..
    Lyrics Mantra
    thankyou

    ReplyDelete
  10. ye awaaz ... sone nahi deti
    aati rahti hain
    kai baar dekha hai
    sannata bhi bolta jata hai

    ReplyDelete
  11. यशवंत, आपकी यह रचना बहुत सुन्दर बन पड़ी है ... इतनी खूबसूरती से आपने हर तरह की आवाजों का वर्णन किया है कि ऐसा लगता है हम उन आवाजों के बीच हैं ..

    ReplyDelete
  12. बहुत सही लिखते हैं.
    आवाजों से कई प्रतीकों का रिश्ता होता है.अलग अलग तरह की आवाजें कुछ मनभाती कुछ मन को जलाती.
    अच्छी रचना.
    'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
    रविवार प्रातः 10 बजे

    ReplyDelete
  13. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
+Get Now!