19 December 2010

तस्वीरें

कुछ जानी सी
पहचानी सी
कुछ रंगीन
कुछ श्वेत श्याम
कुछ दीवारों पर
अखबारों पर
बोलती सी
कुछ शांत सी
ये तस्वीरें
अगर न होती तो?

शायद कुछ अधूरे से होते हम
शायद न होती कल्पना
न कविता न कहानी होती
न स्वप्न होते
न कुछ कहते
न सुनते
पता नहीं
क्या होता कैसा होता
इन तस्वीरों के बिना

है सौभाग्य!
इन तस्वीरों के साथ
हम जीते हैं
महसूस करते हैं
भावों को
आभावों को
किसी के गम को
किसी की ख़ुशी को

ये तस्वीरें !

ये तस्वीरें!!

किसी की तकदीर बन जाती हैं
रंक को राजा
राजा को रंक बना देती हैं
ये तस्वीरें
मुर्दों को भी जिला देती हैं
पत्थरों को पिघला देती हैं
कभी सिहरा देती हैं
कभी जमा देती हैं

अपनी असीम ऊर्जा से!

ऊष्मा से!

शीतलता से!

21 comments:

  1. तसेवीरों पर लिखी यह कविता बह्त अच्छी लगी।
    ये ब्लोग के बैकग्राउंड का मुजिक इतना प्यारा है कि आपके ब्लोग से हटने का मन ही नहीं कर रहा।

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  2. बहुत ही सुन्दर और विचारोत्तेजक कविता है ... ऐसे ही लिखते रहे ... आप में प्रतिभा है ..

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  3. अत्यंत मार्मिक एवम सत्यता से अवगत करने का सफल प्रयास....बधाई !

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  4. एक तस्वीर लाखों शब्दों से भी ज़्यादा कह जाती है !

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  5. अरे आप विजय माथुर जी के बेटे हैं । बहुत अच्छे संस्कार पाए हैं आपने ।
    कविता अच्छी लगी । बहुत खूब ।

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  6. तस्वीरों की महत्ता को बहुत प्यारे शब्द दिए आपने .....सच ये कल हो न हो का यह Instrumental music बहुत पसंद आया ...Good job :)

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  7. मन से निकली एक सुंदर कविता। अच्‍छा लगा इसे पढना।

    सशवंत भाई, मैं भी लखनऊ में ही हूँ, मण्‍डी परिषद, पॉलीटेक्निक चौराहे के पास। कभी इधर से गुजरना हो, तो मिलें, प्रसन्‍नता होगी।
    मेरा मोबाईल नं0 है 9935923334
    ---------
    आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
    खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

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  8. सुन्दर रचना भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... आभार

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  9. तस्वीरों के माध्यम से जीवन के कई सच सामने रखने में सक्षम कविता.

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  10. है सौभाग्य!
    इन तस्वीरों के साथ
    हम जीते हैं
    महसूस करते हैं
    भावों को
    आभावों को
    किसी के गम को
    किसी की ख़ुशी को ........
    सुन्दर, बहुत सुन्दर भाव !

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  11. इन तस्वीरों के साथ
    हम जीते हैं
    महसूस करते हैं
    भावों को
    आभावों को
    किसी के गम को
    किसी की ख़ुशी को

    सच कहा आपने ....
    तस्वीरों का साथ ,,
    अर्थात... जिंदगी के भरपूर लम्हों का साथ !

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  12. तस्वीरों को तस्वीरों से बाहर ला कर उन्हें जीवन देती पोस्ट

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  13. तस्वीरें तो हम सब ही रखते हैं लेकिन शायद इतनी अभिन्नता से इनके बारे मे सोचते नहीं हैं ,सुन्दर अभिव्यक्ति ।
    मेरे ब्लोग पर आने के लिये धन्याद , जब भी वक्त हो फ़िर पधारें।

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  14. वाह...
    तस्वीर कि इतनी सुन्दर व्याख्या...
    बहुत सुन्दर...

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  15. किसी की तकदीर बन जाती हैं
    रंक को राजा
    राजा को रंक बना देती हैं
    ये तस्वीरें
    मुर्दों को भी जिला देती हैं
    पत्थरों को पिघला देती हैं
    कभी सिहरा देती हैं
    कभी जमा देती हैं
    xxxxxxxxxxxxxxxxxx
    जिन्दगी का फलसफा यही है भाई .........शुक्रिया

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  16. tasveeron ko lekar ek bhavpoorn rachna ka shrijan..
    bahut sundar bhav..

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  17. fisrt time i visited ur blog //
    ये तस्वीरें
    मुर्दों को भी जिला देती हैं
    पत्थरों को पिघला देती हैं//
    very true brother ..
    i invite u to visit my blog also ..
    http://babanpandey.blogspot.com

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  18. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  19. किसी के गम को
    किसी की ख़ुशी को ........
    सुन्दर, बहुत सुन्दर भाव !
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.

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  20. तस्वीरें बोलती हैं..
    और आपकी ये कविता तो बहुत कुछ याद दिला रही है..
    आपको भी कुछ याद जरूर आया होगा..
    आपका लेखन गजब है शुरू से ही..आज पढ़ा तो अच्छा लगा

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