वैसे तो यह कविता इस ब्लॉग पर पहले भी प्रकाशित कर चुका हूँ;एक बार फिर से आपकी सेवा में प्रस्तुत है-
फ़िल्मी डांस डिस्को क्लबों में नाच गाना है,
शराब और कवाब का रिश्ता पुराना है
इसी रिश्ते को और मज़बूत बनाना है
भारतीय नहीं हमें तो इंडियन कहलाना है॥
रोटी साग सब्जी दाल चावल नहीं भाता हमें
पूरी और परांठे का गुज़रा ज़माना है
चाउमीन चिकन डोसा इडली और पेटीज बर्गर
यही नए ज़माने का हाईटेक खाना है॥
शास्त्रीय राग छोड़ रॉक पॉप गाइए
कान फोडू संगीत पर ठुमका लगाना है
आशा,रफ़ी,लता,मुकेश,किशोर भूल जाइये
सुरैय्या के सुरों का न पता न ठिकाना है॥
नमस्कार,आदाब,सतश्री अकाल अब कहना नहीं
हेल्लो,हाय गुड बाय कहता ज़माना है
सीता राम,राधा कृष्ण ,प्रभु नाम लेना नहीं
घर-घर में अमिताभ-सचिन का पोस्टर सजाना है॥
दुखी हैं दूसरे के सुख से ,अपने सुख से सुखी न कोई
दौलत के अंधों ने सच्चाई को नहीं जाना है
करेंगे करम खोटे ,रोना पछताना फिर
'यशवन्त यश ' कहता फिरे ज़ालिम ज़माना है॥
दुखी हैं दूसरे के सुख से ,अपने सुख से सुखी न कोई
ReplyDeleteसच कहा...!
बदलते समय और बदलते मूल्यों पर सटीक लिखा है!
दुखी हैं दूसरे के सुख से ,अपने सुख से सुखी न कोई...
ReplyDeleteआजकल के हालात पर बहुत सटीक टिप्पणी..बहुत सुन्दर
हम इंडियन हो गए है ॥
ReplyDeleteशानदार पोस्ट /
नए साल की बधाई
दुखी हैं दूसरे के सुख से ,अपने सुख से सुखी न कोई
ReplyDeleteदौलत के अंधों ने सच्चाई को नहीं जाना है
करेंगे करम खोटे ,रोना पछताना फिर
'यशवन्त राज' कहता फिरे ज़ालिम ज़माना है॥
बहुत बढ़िया ...हकीकत यही है यशवंत जी
नए वर्ष की आप सबको शुभकामनाएं
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteविलायत क़ानून की पढाई के लिए
अपने परिवेश की बदलती सच्चाईयों को सटीकता से उकेरती सुंदर भावप्रवण प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर
डोरोथी.
रोटी साग सब्जी दाल चावल नहीं भाता हमें
ReplyDeleteपूरी और परांठे का गुज़रा ज़माना है
चाउमीन चिकन डोसा इडली और पेटीज बर्गर
यही नए ज़माने का हाईटेक खाना है॥
bilkul
bahut hi satik vyangya hai. bahut achcha likha hai aapne.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteनए वर्ष की आप सबको शुभकामनाएं
दुखी हैं दूसरे के सुख से ,अपने सुख से सुखी न कोई
ReplyDeleteदौलत के अंधों ने सच्चाई को नहीं जाना है
इन पंक्तियों में छुपे मर्म ने मुझे आपको शाबाश कहने और बधाई देने के लिए प्रेरित किया.
बहुत खूब यशवंत जी...
ReplyDeleteपर शायद ये अपने-अपने माहौल और अपनी-अपनी पसंद की बात है...
यशवंत भाई, मजेदार और सार्थक रचना इसे ही कहते हैं। बधाई।
ReplyDelete---------
साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है?
अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
ReplyDeleteतय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteनया वर्ष शुभ हो ....
बहुत सटीक टिप्पणी..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनए वर्ष की आप सबको शुभकामनाएं
यशवंत जी बहुत सार्थक प्रस्तुति है यह ...शुक्रिया
ReplyDeletexxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...आशा है नव वर्ष आपके जीवन में नित नयी खुशियाँ लेकर आएगा ..शुक्रिया
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteयह पोस्ट वर्ष 2010 की अंतिम और इस ब्लॉग की 121 वीं पोस्ट थी.
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