ये तो होना ही था
जो हुआ
जो मैंने सुना
जो आपने देखा
'उसने' मार दिया खंजर
ले लिया बदला
वो मांग रही है मौत
अब
जायज़ जुर्म की
सजा के रूप में
यही है इन्साफ
इन्साफ रहित इस युग में
उसने कर लिया
खुद से इन्साफ
उसने ठीक ही किया.
[विशेष-इन पंक्तियों की भावना दो दिन पहले समाचार पत्रों में प्रकाशित एक घटना से प्रेरित है]
ektam sateek...likhte rahiye....
ReplyDeleteउसने ठीक ही किया.
ReplyDeleteशायद!
shaayed---usane theek hi kiya...very nice.
ReplyDeleteकटु सत्य का बोध कराती हुई सुंदर रचना -
ReplyDeleteसुंदर रचना..!
ReplyDeleteशायद उसने ठीक किया होगा...
ReplyDeleteउसकी मनोस्थिति वो ही जानती रही होगी...
परन्तु यदि हर कोई यही करने लग जाए तो काम नहीं चलेगा...
विचारणीय है ये सोच... अच्छी पंक्तियाँ...
असरदार रचना के लिए बधाई !
ReplyDeleteये तो होना ही था
ReplyDeleteजो हुआ
जो मैंने सुना
जो आपने देखा
'उसने' मार दिया खंजर
ले लिया बदला
वो मांग रही है मौत
अब
जायज़ जुर्म की
सजा के रूप में
hona hi tha ... aakhir kab tak khamosh rahti
@पूजा जी! आप की बात बिलकुल सही है यदि हर कोई यही करने लग जाए तो काम नहीं चलेगा पर ये भी सोचना आवश्यक है की आखिर क्या कारण हैं कि कोई अपने हाथ में क़ानून क्यों लेता है.बहुत से तत्व हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं.
ReplyDeleteबात एकदम दुरुस्त है। दुखद बात ये है कि उसकी खबर को प्रमुखता से छापने वाले एक साप्ताहिक पत्रिका के संपादक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। आखिर इंसाफ का साथ देने की छोटे पत्रकार को कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी। इसे कोई नहीं जान पाया। पीपली लाइव की पूरी कहानी फिर से होनी अभी बाकी है।
ReplyDeleteबिलकुल ऐसा ही मुझे भी लगता है.रोहित जी!
ReplyDeletekoi kya kare kanoon ka kya bharosa
ReplyDeleteइन्साफ रहित इस युग में
ReplyDeleteउसने ठीक ही किया....!
सुंदर रचना..!
हां उसने बिल्कुल ठीक किया सर्वथा उचित और काबिलेतारीफ़ ..वो सज़ा की नहीं ईनाम की हकदार है और भारत के अलावा कोई और देश होता तो यकीनन ईनाम मिलता भी ..
ReplyDeleteयही है इन्साफ
ReplyDeleteइन्साफ रहित इस युग में
उसने कर लिया
खुद से इन्साफ
एकदम ठीक....बहुत अच्छी रचना....अपना हिसाब शायद खुद चुकाना पड़ता है....
jo bhi usne kiya theek hi kiya ---
ReplyDeleteek bahut hi teekhi par haqikat se purn aapki rachna ne bahut hi prabhavit kiya.
bahut hi sundar abhvykti sadgipurn shabdo me.
poonam
ठीक ही नहीं बहुत बढ़िया किया, और जो इस तरह के हर पीड़ित को करना चाहिए, मगर ये दुष्कर्मी म$%&* तो चारों तरफ से कमांडो से घिरे रहते है, हमारी कीमत पर !
ReplyDeletebahut achha likha hai ... kai baar aisa lagta hai jaise iske bina koi aur rasta nahi ...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
वैचारिक मंथन लिए हैं पंक्तियाँ..... सुंदर
ReplyDeletebahut hi achha likha hai aapne
ReplyDeletekab tak vo chup rahti
kabhi yha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
आप सभी के उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
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