(चित्र गूगल से साभार) |
बहुत दिनों बाद
मौसम ने करवट ली है
आज कुछ धूप खिली है
छंट गयी कोहरे की चादर
एक नयी ऊर्जा मिली है
आज कुछ धूप खिली है
चहक उठे परिंदे भी
उफ्फ! आलस्य से मुक्ति मिली है
आज कुछ धूप खिली है
आज कुछ धूप खिली है
कल के मुरझाये हुए पत्तों को
शायद कुछ राहत मिली है
आज कुछ धूप खिली है.
सच मै दोस्त अब थोड़ी सी तो धूप खिली है !
ReplyDeleteसच कहू सबके चेहरे मै थोड़ी सी मुस्कान दिखी है !
शब्दों का बहुत ही खुबसूरत ताना बाना !
बधाई दोस्त
बातो हो बातो में सुंदर कथन
ReplyDeleteधूप खिला दी आपने बैठे बिठाये
ReplyDeleteआज कुछ धूप खिली है
ReplyDeleteकल के मुरझाये हुए पत्तों को
शायद कुछ राहत मिली है
आज कुछ धूप खिली है.
.....सबको ही धूप का इन्तजार है .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
इसे कहते हैं ताजी रचना। मजा आ गया बढकर।
ReplyDelete---------
सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है?
@ नीरज जी यहाँ लखनऊ में तो आज दिन में अच्छी धूप निकली बस इसीलिए ब्लॉग पर भी धूप खिला दी :)
ReplyDeleteचहक उठे परिंदे भी
ReplyDeleteउफ्फ! आलस्य से मुक्ति मिली है
आज कुछ धूप खिली है
aha ... shareer bhi sugbugane laga , banate hain kuch chatpata
सुन्दर वर्णन ।
ReplyDeleteबधाई !
आज हमारे यहाँ भी धुप दिखी थी...
ReplyDeleteसर्दी की नरम धूप का प्यारा वर्णन ......
ReplyDeleteसबको ही धूप का इन्तजार है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
इसे कहते हैं ताजी रचना। बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteबधाई धूप के खिलने के लिए..सर्दियों में धूप सभी को अच्छी लगती है .
ReplyDeleteसुन्दर कविता .
सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......
ReplyDeleteमकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteइन पंक्तियों को पसंद करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteमकर संक्रांति की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteधूप खिली रहे!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!