है चुनती मुझे जनता कि
वो मुझे जान ती है
अपना अमूल्य विश्वास
मुझ पर वारती है
पर मैं वार करता हूँ
कुचल देता हूँ उम्मीदों को
मैं लोलुप तन मन और धन का
खरीद लेता हूँ चश्मदीदों को
क्या बड़ा क्या छोटा
गली का छुटभैय्या ही सही
मैं भले पांचवीं फेल
जी भर निरीहों को पेरता हूँ
/
मैं नेता हूँ!
वो मुझे जान ती है
अपना अमूल्य विश्वास
मुझ पर वारती है
पर मैं वार करता हूँ
कुचल देता हूँ उम्मीदों को
मैं लोलुप तन मन और धन का
खरीद लेता हूँ चश्मदीदों को
क्या बड़ा क्या छोटा
गली का छुटभैय्या ही सही
मैं भले पांचवीं फेल
जी भर निरीहों को पेरता हूँ
/
मैं नेता हूँ!
आज के नेताओं पर बहुत सटीक टिप्पणी..बहुत प्रभावपूर्ण...
ReplyDeleteमुझ पर वारती है
ReplyDeleteपर मैं वार करता हूँ
...........बहुत सटीक टिप्पणी
aaj ke neta aise hi hote hai .....bilkul sahi likha hai.......... yashwant bhai
ReplyDeleteअच्छा व्यंग.
ReplyDeleteसही कटाक्ष ....
ReplyDeleteबेहतरीन व्यंग
ReplyDeleteहाँ यही तो है नेता, बहुत बढिया लगी आपकी रचना ।
ReplyDeleteआज के नेताओं का बिल्कुल सटीक आकलन .....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा ,शुभकामनायें !
सही बात है ,
ReplyDeleteमैं नेता हूँ,
भ्रष्टाचार का वेता हूँ,
सिर्फ अपनी नैया खेता हूँ
कुछ न किसी को देता हूँ
केवल जग से लेता हूँ ,
मैं नेता हूँ
sahi kha aapne
ReplyDeleteaaj kal ke neta yese hi h
...
सुंदर
ReplyDeleteकटु सत्य ।अच्छा व्यंग ।
ReplyDeleteहाँ भाई हाँ मै नेता हूँ !
ReplyDeleteजनता के साथ ही तो रहता हूँ !
अपनी अपनी ही कहता हूँ !
जनता से प्यारी - प्यारी बातें कर ..........
उसका तो सब कुछ हडप लेता हूँ !
सुन्दर कटाक्ष !
खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteवाकई आज यही हमारे नेता हैं...
ReplyDeleteबहुत अच्छे...
इन पंक्तियों को पसंद करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteमैं भले पांचवीं फेल
ReplyDeleteजी भर निरीहों को पेरता हूँ
खूबसूरत रचना के साथ सटीक व्यंग....अच्छा लगा पढ़कर