बहुत दिनों से ये बात मन में थी;मन में क्या थी सच कहूँ तो पापा से इस पर डिस्कशन कई बार किया है और उन्होंने सहमति ही जतायी है मेरी बात से.
अक्सर ये बात मन में कौंधती है कि अमरीका को अमरीका ही कहा जाता है,इंग्लॅण्ड को इंग्लॅण्ड,ब्रिटेन असल में भी ब्रिटेन ही है और फ्रांस,फ्रांस ही कहलाता है.नजदीक की बात करें तो पाकिस्तान को पाकिस्तान,नेपाल को नेपाल,भूटान को भूटान और चाइना को चाइना के नाम से सारी दुनिया जानती है.दुनिया का हर देश अपने मूल नाम से ही जाना जाता है; पर भारत या हिन्दुस्तान को इंडिया कहा जाता है.क्यों?
हमारे देश की आत्मा भारत में बसती है.ओबामा भारत आकर नमस्ते बोल सकते हैं,होली को स्पष्ट रूप से होली कह सकते हैं तो भारत शब्द को बोलने में उन्हें या किसी भी राष्ट्राध्यक्ष को कोई दिक्कत नहीं होगी यह भी तय है.
बहुत से लोग ज्योतिष या अंक शास्त्र को नहीं मानते लेकिन इसकी कसौटी पर भी भारत इण्डिया से कहीं बेहतर है.
बात बात पर हल्ला मचाने वाले,हड़ताल और आन्दोलन करने वाले,पृथक नए राज्यों की वकालत करने वाले क्या कुछ करेंगे?
हमें गर्व है अपने गौरवशाली इतिहास पर,अनमोल विरासतों पर और प्राणोत्सर्ग करने वाले वीर महापुरुषों पर तो अपने देश के मूल नाम पर गर्व क्यों नहीं कर सकते?
क्या वैश्विक स्तर पर रुपये के चिह्न के बाद भारत शब्द को प्रचलन में लाया जा सकता है? और क्या हम इण्डिया को त्याग सकते हैं?
आपकी बात से सहमत हूं....लेकिन कहीं अंदर से हम सब इसे स्वीकार कर चुके हैं....हर जगह, हर फार्म में भी इंडियन का ही कॉलम होता है फिर जो चलन में आ जाता है वहीं रहता है...लेकिन मुझे भारतीय कहलाने में ज्यादा अच्छा लगेगा बजाय इंडियन के पर अब तो मतलब एक है....कलकत्ता-कोलकाता हो गया, बम्बई-मुंबई हो गई शायद कभी इंडिया- भारत हो जाए.....
ReplyDeleteshuruaat to aapne kar hi di hai .hame bhi jyada se jyada india ke sthan par ''bharat'' ka prayog karna hoga tabhi bharat ko sahi samman ka sthan prapt hoga .
ReplyDeleteहम सब भारतीय हैं .... अच्छा है :)
ReplyDeleteसहमत हूँ यशवंत ..... यह बात बहुत विचारणीय है....
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत आवश्यक सुझाव है शायद पहली बार ब्लॉग पर किसी ने लिखा है ! शुभकामनायें यशवंत भाई , ईश्वर करे आपकी यह इच्छा पूरी हो
राजनैतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
ReplyDeleteहम तो भारत ही कहते हैं और कहेंगे हमेशा ही। अच्छी पोस्ट और सोच के लिये बधाई।
ReplyDeleteपर भारत या हिन्दुस्तान को इंडिया कहा जाता है.क्यों?
ReplyDeleteयशवंत जी ...ये वो बात है जो मैंने आज से कम से कम ५ साल पहले अपने पापा से पूछी थी...और मुझे इतनी हैरानी हो रही ये सवाल अपने सामने देख के...सच्च है ...ऐसा क्यूँ...कोई नही सोचता ....और भी देश गुलाम हुए पर उनका नाम नही बदला गया..सिर्फ हमारा क्यूँ....पर इसका जवाव किसी के पास नही ...जिन्होंने ....शुरुआत में ही इसे स्वीकार कर लिया....अगर तब उन्होंने इसका विरोध किया होता तो शायद ..कुछ होता..और आज जो कुछ कर सकते हैं..वो बिजी हैं अपने खातों को भरने में
हम्म./ये हमारे लिए दुर्भाग्यपूरण बात है
सचमुच कमाल की बात है ये एक ऐसा प्रश्न है जो शायद पीढ़ियों से अनुत्तरित है.... कभी ये मेरे बल-मन में कौंधा था..और आज मेरे बच्चों के...लेकिन ना मुझे कोई संतोषजनक उत्तर मिल पाया और न ही मेरे बच्चों को...आज ये प्रश्न यहाँ देखकर उम्मीद जगी है कि शायद अब इसका समाधान संभव हो पाए....एक विचारणीय पोस्ट!!!!
ReplyDeleteभारत या हिन्दुस्तान को इंडिया कहा जाता है.क्यों.... ?
ReplyDeleteयह बात बहुत विचारणीय है.... !!
एक बहुत अच्छी रचना.... :)
सच है यह विचारणीय बात है...हम सब भारतीय है
ReplyDeleteभारत बनाम इंडीया बनाम हिन्दूस्तान अकेला उदाहरण नही है। जापान को जापानी निप्पन कहते है, जर्मनी ड्योशलैड कहलाता है, चाइना चीन कहलाता है ! भारत के एकाधिक नामो के विरोधी पहले यह तो तय करले कि उसे कहा क्या जाये ? भारत, भारतवर्ष या हिन्दूस्तान! हिन्दूस्तान नाम के समर्थको को यह याद दिलाते चलुं कि स्तान शब्द जितने भी देशो मे लगा है वह इस्लामी देश या इस्लाम बहुल देश है।
ReplyDeleteचलते चलते, मै इस राष्ट्र के लिये इसके पुरातन नाम भारतवर्ष का समर्थक हूं! आर्यावर्त का समर्थन इसलिये नही क्योंकि इसका विस्तार अफगानीस्तान से लेकर ब्रह्मदेश तक था, दूसरे यह राष्ट्र अब आर्यो का ही देश नही रहा!
अपनी इस टिप्पणी द्वारा मेरी जानकारी बढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद सर!
Delete