जैसे लहलहा रहे हैं
खेतों में सरसों के फूल
जैसे मुस्कुरा रहे हैं
गेंदा और गुलाब
जैसे चहक रहे हैं
पंछी ऊंची उड़ानों में
जैसे हो उठा खुशनुमा
ये बासंती मौसम
ऐसे ही खिल उठे
मुस्कराहट
मुरझाये हुए चेहरों पर
खुल जाएँ ज्ञान चक्षु
खिली हुई धूप की तरह
मिले नयी ऊर्जा
सोचने की समझने की
आ जाये एक नयी बहार
बस यही वंदना है
यही अर्चना है
बसंत पंचमी पर.
बहुत सुंदर और सार्थक वंदना ....... शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभ कामनाएं
ReplyDeleteमुरझाये हुए चेहरों पर
ReplyDeleteखुल जाएँ ज्ञान चक्षु... basant kuch aisa ho
वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.
ReplyDeleteमुरझाये हुए चेहरों पर
ReplyDeleteखुल जाएँ ज्ञान चक्षु
खिली हुई धूप की तरह
मिले नयी ऊर्जा
बहुत खूबसूरत....
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं
वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...बहुत खूब, अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.
ReplyDeleteकवितायेँ भावपूर्ण हैं आपकी
सुंदर और सार्थक प्रस्तुति.वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
bahut accha likha hai aapne...!! basant panchmi ki shubhkaamnaayen..!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसादर
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी......
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteवाह ... बहुत सुन्दर बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं
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