आज न मंदिर है
न मस्जिद है
न गिरिजा,न गुरुद्वारा है
दिल ही है मंदिर आज
सब को दिल्लगी का सहारा है
न रही मीलों की दूरियां
न वो तड़प, हया का किनारा है
है बदला हुआ ये दौर आज
हर कदम बस एक नज़ारा है
काश! के ये दिन सदियों
औ युगों में बदल जाये
काश !ये प्रेम सब को
समझ में आ जाये
काश! न रहें ये दूरियां
जात औ मजहबों की
काश!ये खुशबू
हमेशा बनी रह पाये
खिली रहें मुस्कुराहटें
हर दिल में अमन हो
सार्थक हो प्रेम दिवस
खिलता हुआ चमन हो.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति….………॥प्रेम दिवस की शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteभावभीनी अभिच्यक्ति .
ReplyDeleteशुभकामनायें .....
बहुत सुन्दर सन्देश। बधाई।
ReplyDeleteखिली रहें मुस्कुराहटें
ReplyDeleteहर दिल में अमन हो
सार्थक हो प्रेम दिवस
खिलता हुआ चमन हो.
....Sarthak sandesh...Beautifull !!
कित्ती प्यारी कविता...बधाई.
ReplyDeleteकाश! न रहें ये दूरियां
ReplyDeleteजात औ मजहबों की
काश!ये खुशबू
हमेशा बनी रह पाये
बहुत-बहुत बधाई
वाह ...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteखिली रहें मुस्कुराहटें
ReplyDeleteहर दिल में अमन हो
सार्थक हो प्रेम दिवस
खिलता हुआ चमन हो.
बढ़िया प्रेम सन्देश देती पंक्तिया ! इस प्रेम दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाये यशवंत जी !
प्रेम दिवस पर बहुत ही खुबसुरत सदेंश देती है ये रचना।
ReplyDeleteयशवन्त जी ,आपकी कविताएं -लिखता रहूँ तथा खिलता हुआ चमन हो--पढी । अच्छी लगीं । हार्दिक शुभ-कामनाएं
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर ...भावपूर्ण पंक्तियाँ....
ReplyDeleteबहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत भैया ..... आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें
ReplyDeleteप्रेम दिवस पर बहुत ही खुबसुरत सदेंश देती है ये रचना।
ReplyDeleteaisa hi ho....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर विचार हैं यशवंत भाई। हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete---------
अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद!
ReplyDelete