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14 February 2011

खिलता हुआ चमन हो

आज न मंदिर है
न मस्जिद है
न गिरिजा,न गुरुद्वारा है
दिल ही है मंदिर आज
सब को दिल्लगी का सहारा है
न रही मीलों की दूरियां
न  वो तड़प, हया का किनारा है
है बदला हुआ ये  दौर आज 
हर कदम बस एक नज़ारा है  

काश! के ये दिन सदियों  
औ युगों में बदल जाये
काश !ये प्रेम सब को
समझ में आ जाये
काश! न रहें ये दूरियां
जात औ मजहबों की
काश!ये खुशबू
हमेशा बनी रह पाये

खिली रहें मुस्कुराहटें
हर दिल में अमन हो
सार्थक हो  प्रेम दिवस
खिलता हुआ चमन हो. 

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति….………॥प्रेम दिवस की शुभकामनाएँ!

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  2. भावभीनी अभिच्यक्ति .
    शुभकामनायें .....

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  3. बहुत सुन्दर सन्देश। बधाई।

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  4. खिली रहें मुस्कुराहटें
    हर दिल में अमन हो
    सार्थक हो प्रेम दिवस
    खिलता हुआ चमन हो.

    ....Sarthak sandesh...Beautifull !!

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  5. कित्ती प्यारी कविता...बधाई.

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  6. काश! न रहें ये दूरियां
    जात औ मजहबों की
    काश!ये खुशबू
    हमेशा बनी रह पाये
    बहुत-बहुत बधाई

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  7. वाह ...बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  9. खिली रहें मुस्कुराहटें
    हर दिल में अमन हो
    सार्थक हो प्रेम दिवस
    खिलता हुआ चमन हो.

    बढ़िया प्रेम सन्देश देती पंक्तिया ! इस प्रेम दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाये यशवंत जी !

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  10. प्रेम दिवस पर बहुत ही खुबसुरत सदेंश देती है ये रचना।

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  11. यशवन्त जी ,आपकी कविताएं -लिखता रहूँ तथा खिलता हुआ चमन हो--पढी । अच्छी लगीं । हार्दिक शुभ-कामनाएं

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  12. वाह ...बहुत ही सुन्‍दर

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  13. सुंदर ...भावपूर्ण पंक्तियाँ....

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  14. बहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..शुभकामनायें

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  15. बहुत सुंदर यशवंत भैया ..... आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें

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  16. प्रेम दिवस पर बहुत ही खुबसुरत सदेंश देती है ये रचना।

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  17. बहुत ही सुंदर विचार हैं यशवंत भाई। हार्दिक शुभकामनाएं।

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    अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
    अंधविश्‍वास:महिलाएं बदनाम क्‍यों हैं?

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  18. आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद!

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