16 February 2011

क्या लिखूं?

सामने रखा
कोरा कागज़
एकटक देख रहा है
मुझ को
इस उम्मीद में
कि शायद कुछ अक्षर
लिखकर
उसको सहेज लूँ

मैं भी अलसाई आँखों से
उसे देख रहा हूँ
रोती कलम की आहें भी
सुन रहा हूँ
और
खुद से पूछ रहा हूँ
क्या लिखूं?

12 comments:

  1. आज मैं क्या लिखूं?
    हाँ बहुत दिन हो गए है,
    ख्यालों के बादल भी कम हो गए है,
    साफ़ साफ़ सा है विचारों का आसमां
    इसी सोच में हूँ की आज मैं क्या लिखूं?

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  2. jo bhi man me aaye likh daliye .bahut khoob .

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  3. सुंदर ....अक्सर उमड़ पड़ते हैं यह मनोभाव....

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  4. बस ऐसे में एक हस्ताक्षर कर दीजिए।

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  5. काग़ज को आपसे उम्मीद है उसका दिल मत तोड़िए कुछ तो लिखिए

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  6. मन की कशमक्श को खूब शब्दों मे उतारा है। शुभकामनायें।

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  7. न लिखना भी बहुत अच्छा लिख गये । शुभकामनायें ।

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  8. बहुत सुन्दर लिखा आपने...बढ़िया है.
    ______________________________
    'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !

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  9. अरे वाह ! आपने तो सोचते सोचते बहुत सुन्दर लिख दिया है ... बहुत सुन्दर तरीके से उतारा है आपने अपनी सोच को

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  10. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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