वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
मैं, तुम, और हम! वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
माथुर सहब बहुत अच्छा संदेश एक अच्छी कविता के माध्यम से !
बहुत अच्छा संदेश !!
bahut achchhi prastuti.
आखिर क्या रखा हैइस दुश्मनी की खाई में?बहुत ही खूबसूरत रचना...बधाई
मैं तुम जब हम दिखने लगे कैसी दुश्मनी ? अच्च्ही प्रस्तुति !
bilkul sahi kaha koi bhi kisi ke jaisa nahi hota .bhagvan ne sabko alag-alag vyaktitv pradan kiya hai .
वाह! बहुत सुन्दर
सुंदर ...संदेशपरक....
बहुत अच्छी कविता।
बहुत खूब यशवंत भाई। बधाई कुबूल फरमाएं।---------ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
अच्छा संदेश यशवंत भाई
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमैं, तुम, और हम!
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
माथुर सहब बहुत अच्छा संदेश एक अच्छी कविता के माध्यम से !
ReplyDeleteबहुत अच्छा संदेश !!
ReplyDeletebahut achchhi prastuti.
ReplyDeleteआखिर क्या रखा है
ReplyDeleteइस दुश्मनी की खाई में?
बहुत ही खूबसूरत रचना...
बधाई
मैं तुम जब हम दिखने लगे कैसी दुश्मनी ?
ReplyDeleteअच्च्ही प्रस्तुति !
bilkul sahi kaha koi bhi kisi ke jaisa nahi hota .bhagvan ne sabko alag-alag vyaktitv pradan kiya hai .
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर ...संदेशपरक....
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
ReplyDeleteबहुत खूब यशवंत भाई। बधाई कुबूल फरमाएं।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
अच्छा संदेश यशवंत भाई
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