सोच जो बदल जाती शब्दों में
शब्द जो अभिव्यक्ति बनकर
गुन गुनाए जाते स्वरों में
उन स्वरों को मैं अपनी
आवाज़ देता रहूँ
बस लिखता रहूँ!
है ये जीवन का सफ़र
बड़ी ही कठिन है डगर
आते जाते हर लम्हे को
यूँ ही महसूस करता रहूँ
बस लिखता रहूँ!
ठंडी हवा के झोंकों को
कल कल नदी की लहरों को
खिलते गुलाब के फूलों को
मुरझाये हुए चेहरों को
कुछ नए बिम्ब देता रहूँ
बस लिखता रहूँ!
@ yashwant bhai
ReplyDeletesach kaha aapne jo man kahe wahi likhna chahiye
bahut hi sunder kavita
ठंडी हवा के झोंकों को
ReplyDeleteकल कल नदी की लहरों को
खिलते गुलाब के फूलों को
मुरझाये हुए चेहरों को
कुछ नए बिम्ब देता रहूँ
बस लिखता रहूँ!
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति…….…लेखन सतत चलता रहे।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.....सतत लेखन की ढेरों शुभकामनायें .....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर जी धन्यवाद
ReplyDeleteलिखते रहें. आप अच्छा लिखते हैं.
ReplyDeleteअरे ये तो बाद में देखा आपकी नई पोस्ट.....कोई बात नहीं...यूं ही लिखते रहिए...मन के भावों को शब्दों में ढालते रहिए....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! बेहतरीन!
ReplyDeleteआते जाते हर लम्हे को
ReplyDeleteमहसूस करता रहूं
बस लिखता रहूं ...
प्रशंसनीय अभिव्यक्ति ...
may god bless you..
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
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