बातें तो सब वही हैं पर
कहने के अंदाज़ अलग हैं
साज तो सब वही हैं
पर सुर और राग अलग हैं
घूम फिर कर अंत आदि
और आदि अंत हो जाता है
अक्षरों का शब्दों का हेरफेर हो जाता है
हैं सब वही तस्वीर कल्पना के रंग अलग हैं
बातें तो सब वही हैं
पर कहने के अंदाज़ अलग हैं.
बातें तो सब वही ... अंदाज अलग ,लोग अलग , एहसास अलग...
ReplyDeleteकहने का अंदाज तो सचमूच अलग है आपका जी, स्वागतम...
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बातें तो सब वही हैं
ReplyDeleteपर कहने के अंदाज़ अलग हैं.
बहुत सुन्दर शब्द ...बेहतरीन ।
sach kaha aapne baaten bahi hain par andaaj badal gaye hain
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है आपने। बात तो एक ही रहती है पर तरीके अलग अलग हो जाते है।
ReplyDeleteबातें तो सब वही हैं
ReplyDeleteपर कहने के अंदाज़ अलग हैं.
कितनी गहरी बात..... सुंदर
वाह क्या बात है ...बहुत प्यारा अंदाज़ है
ReplyDeleteशिवरात्रि के पावन पर्व की मंगलकामनाएं !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteमहाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|
उम्दा रचना!!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
अच्छा लगा बाते कहने का अंदाज़ !
ReplyDeleteजीवन भी तो वही है , बस जुदा है जीने के अंदाज़ !
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.चर्चा मंच पर लेने के लिए वंदना जी का विशेष आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही। कहने का अंदाज ही बात के वजन को बढाता है।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
वाह क्या बात है.....उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
बातें तो सब वही हैं
ReplyDeleteपर कहने के अंदाज़ अलग हैं.bahut sunder bhav liye anokhi rachanaa.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks.
sach me kahne ka andaaz alag hai.
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