05 March 2011

ये ख़्वाबों की दुनिया

(1)
कितनी अजीब होती है

ये ख़्वाबों की दुनिया
जो होता नहीं
वो हो जाता है
जो कहा नहीं जा सकता
कह दिया जाता है
 
(2)
फूलों की राह

नसीब नहीं होती
हर किसी को
हर सुगंध को
क़दमों में
बिछा दिया जाता है
और
हर एहसास
हो जाता है ख़ास
कुछ पल के लिए
 
(3 )
ये बात और है कि
नींद से जाग कर
पाँव पड़ते हैं
काँटों की राह पर
और हर आह पर
याद आते हैं
वो ख़्वाबों के
दो मीठे पल.

14 comments:

  1. जो कहा नहीं जा सकता
    कह दिया जाता है

    बेहतरीन शब्‍द रचना ...।

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  2. हर एहसास
    हो जाता है ख़ास
    कुछ पल के लिए
    sach hai

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  3. हर एहसास
    हो जाता है ख़ास
    कुछ पल के लिए..

    बहुत सुन्दर और सार्थक रचना..

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  4. हर एहसास
    हो जाता है ख़ास
    कुछ पल के लिए
    अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई

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  5. और हर आह पर
    याद आते हैं
    वो ख़्वाबों के
    दो मीठे पल


    सराहनीय प्रस्तुति.

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  6. फूलों की राह
    नसीब नहीं होती
    हर किसी को
    हर सुगंध को
    क़दमों में
    बिछा दिया जाता
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

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  7. नींद से जाग कर पाँव पड़ते हैं
    काँटों की राह पर
    और हर आह पर
    याद आते हैं वो ख़्वाबों के
    दो मीठे पल.

    सुन्दर अभिव्यक्ति
    बधाई

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  8. नींद से जाग कर पाँव पड़ते हैं
    काँटों की राह पर
    और हर आह पर
    याद आते हैं वो ख़्वाबों के
    दो मीठे पल.

    बहुत सुंदर रचना

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  9. सुन्दर अभिव्यक्ति । बधाई !

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  10. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना| धन्यवाद|

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  11. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  12. फूलों की राह
    नसीब नहीं होती
    हर किसी को
    हर सुगंध को
    क़दमों में
    बिछा दिया जाता है
    और
    हर एहसास
    हो जाता है ख़ास
    कुछ पल के लिए

    बेहतरीन पंक्तियाँ अच्छी कविता के लिए बधाई

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