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15 March 2011

तुम ...

कभी
मन के बादलों की ओट से
झांकते हो
एक नज़र देखते हो
और फिर
जाने कहाँ खो जाते हो
तुम 

तुमको
महसूस किया है
मैंने कई बार
कोशिश की है
बात करने की
तुम्हारी आँखों में झाँकने की
तुम तेज़ी से आते हो
और
मेरे नजदीक 
अपने होने का 
एहसास करा कर
चले  जाते हो

मैं कभी कभी सोचता हूँ
यह मेरा
कोई भ्रम तो नहीं
तुम्हारा आस्तित्व
कोई छल तो नहीं

मैं सोचता जाता हूँ
कि तुम नहीं हो
पर तभी
तुम्हारी
एक आहट से
चौंक उठता हूँ
और मेरी सारी सोच
धराशायी हो जाती है

शायद तुम कस्तूरी हो
और मैं मृग
या तो तुम अजीब हो
या मैं ही अजीब हूँ!

24 comments:

  1. यही उसकी लीला है…………अपना अहसास भी कराता है और छुप जाता है और इंसान उम्र भर इसी मृगतृष्णा मे घूमता रहता है…………बेहद उम्दा प्रस्तुति।

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  2. waah... prem hi jane prem ki maaya...
    bahut sundar...

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  3. शायद तुम कस्तूरी हो
    और मैं मृग
    या तो तुम अजीब हो
    या मैं ही अजीब हूँ!

    bahut badhiyaa

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  4. शायद तुम कस्तूरी हो
    और मैं मृग
    या तो तुम अजीब हो
    या मैं ही अजीब हूँ!

    बहुत सुन्दर रचना..

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  5. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब ...।

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  7. शायद तुम कस्तूरी हो
    और मैं मृग
    या तो तुम अजीब हो
    या मैं ही अजीब हूँ!
    बेहद उम्दा प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  8. बहुत खूब... उम्दा अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  9. मैं सोचता जाता हूँ / कि तुम नहीं हो / पर तभी / तुम्हारी / एक आहट से /
    चौंक उठता हूँ / और मेरी सारी सोच / धराशायी हो जाती है

    यशवंत जी आपने सुन्दर रचना लिखी है.
    बधाई व आभार

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  10. प्रभावी अभिव्यक्ति । शुभकामनायें !!!

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  11. वाह यशवंत भाई वाह| बहुत ही सुंदर कविता| बधाई|

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  12. बेहतरीन रचना..

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  13. वाह ...बहुत ही सुन्‍दर ।।

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  14. कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  15. मैं सोचता जाता हूँ
    कि तुम नहीं हो
    पर तभी
    तुम्हारी
    एक आहट से
    चौंक उठता हूँ
    और मेरी सारी सोच
    धराशायी हो जाती है.......

    आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है।
    शुभकामनायें।

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  16. शायद तुम कस्तूरी हो
    और मैं मृग
    या तो तुम अजीब हो
    या मैं ही अजीब हूँ!

    अजीब दांस्तां है ये.. कहां शुरू कहां खतम.....

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  17. बहुत बहुत खूबसूरत भाव लिए रचना |बधाई
    आशा

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  18. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  19. बहुत - बहुत सुन्दर...
    हृदयस्पर्शी रचना....

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