अपनी माँ की गोद में
कंधे से सर लगाए
पीछे मुड मुड कर
वो बार बार
मुझको देख रहा था
एक टक
रह रह कर
खिलखिला रहा था
और
बार बार अपने
नाज़ुक से हाथ
बढ़ा रहा था
मुझ अनजान की ओर .
मानो कह रहा हो
मुझ से दोस्ती करोगे ?
कंधे से सर लगाए
पीछे मुड मुड कर
वो बार बार
मुझको देख रहा था
एक टक
रह रह कर
खिलखिला रहा था
और
बार बार अपने
नाज़ुक से हाथ
बढ़ा रहा था
मुझ अनजान की ओर .
मानो कह रहा हो
मुझ से दोस्ती करोगे ?
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी इस रचना के लिए
ReplyDeleteआपको हार्दिक बधाई।
बोलती अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteशुभकामनायें..
bhut hi sunder aur bhaavpur kavita very very nice...
ReplyDeleteaisi dosti kaun na kare
ReplyDeletesundar kavita
ReplyDeleteachcha lagta hai is tarah kisi bachche ka haath badhana
अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुतिकरण।
शुभकामनाएं आपको।
बहुत कोमल भाव यशवंत .... हूँ ......बच्चे आपकी वीकनेस हैं सही लिखा है....
ReplyDeleteऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअच्छी लगी कविताये आपके ब्लोग्स पर शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबालमन का कौतुहल !
ReplyDeletenice
ReplyDeletedil ko chhuti hui rachna....
ReplyDeleteबच्चे के रूप में तभी तो भगवान् के दर्शन होते हैं.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता...लेट अस फ्रैंडशिप.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव ...
ReplyDeleteनिश्छल कोमल और सुंदर एहसास से भरी रचना -
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए आपका आभार. आपका ब्लॉग दिनोदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो, आपकी लेखन विधा प्रशंसनीय है. आप हमारे ब्लॉग पर भी अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "अनुसरण कर्ता" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर
एकदम बोलती हुई कविता है.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर जो मीठा मीठा म्यूजिक बजता रहता है ये कानों को बहुत सुख देता है.
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया!
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