27 March 2011

मुझ से दोस्ती करोगे ?

अपनी माँ की गोद में
कंधे से सर लगाए
पीछे मुड मुड कर
वो  बार बार
मुझको देख रहा  था
एक टक
रह रह कर
खिलखिला रहा था
और 
बार बार अपने
नाज़ुक से हाथ
बढ़ा रहा था
मुझ अनजान की ओर .
मानो कह रहा हो
मुझ से दोस्ती करोगे ?

21 comments:

  1. बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी इस रचना के लिए
    आपको हार्दिक बधाई।

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  2. बोलती अभिव्यक्ति ....
    शुभकामनायें..

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  3. bhut hi sunder aur bhaavpur kavita very very nice...

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  4. sundar kavita
    achcha lagta hai is tarah kisi bachche ka haath badhana

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  5. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति।
    सुंदर प्रस्‍तुतिकरण।
    शुभकामनाएं आपको।

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  6. बहुत कोमल भाव यशवंत .... हूँ ......बच्चे आपकी वीकनेस हैं सही लिखा है....

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  7. ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥

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  8. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति...

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  9. अच्छी लगी कविताये आपके ब्लोग्स पर शुभकामनाये

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  10. बहुत बढ़िया!

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  11. बच्चे के रूप में तभी तो भगवान् के दर्शन होते हैं.

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  12. बहुत सुन्दर कविता...लेट अस फ्रैंडशिप.

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  13. बहुत ही सुन्‍दर भाव ...

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  14. निश्छल कोमल और सुंदर एहसास से भरी रचना -
    बहुत सुंदर

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  15. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए आपका आभार. आपका ब्लॉग दिनोदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो, आपकी लेखन विधा प्रशंसनीय है. आप हमारे ब्लॉग पर भी अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "अनुसरण कर्ता" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    डंके की चोट पर

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  16. एकदम बोलती हुई कविता है.
    आपके ब्लॉग पर जो मीठा मीठा म्यूजिक बजता रहता है ये कानों को बहुत सुख देता है.

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  17. आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया!

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