15 April 2011

क्या हम प्यार नहीं करते?

सड़क पर जाते हुए
कुछ छोटे इंसानी बच्चे
छेड़ रहे थे
एक नन्हे से
पिल्ले को
फेक रहे थे
उसके ऊपर
कुछ  गिट्टियां
और वो
गिरता पड़ता
कोशिश कर रहा था
बचने की
अपनी भाषा में
मांग रहा था मदद
बचाने  की
और उसकी
आवाज़ सुनकर
आ पहुंची
उसकी माँ
सहलाने लगी
अपनी ममता से
उसके कोमल बदन को

शर्मिंदा हो कर
वो  इंसानी बच्चे
चल निकले
अपनी राह पर
और 
दूर खड़ा  मैं
सोच रहा था 
क्या हम प्यार नहीं करते?

27 comments:

  1. दूर खड़ा मैं
    सोच रहा था
    क्या हम प्यार नहीं करते?

    बेहतरीन शब्‍द रचना ।

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  2. बहुत ही अच्छी रचना..आभार.

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  3. मार्मिक रचना|

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  4. मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता
    .................बहुत ही अच्छी रचना.

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  5. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति,बधाई...

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  6. आपने ही सब कुछ कह दिया ………………एक बेहद उम्दा रचना ।

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  7. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (16.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  8. बहुत सजीव भाव ......वैसे भी मां तो हर जगह सिर्फ़ ममत्व ही देती है !

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  9. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति,बधाई|

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  10. माँ जैसा प्यार नहीं करते होंगे ....!

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  11. apne sab kuch kah diya... bhut hi bhaavpur panktiya hai....

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  12. भावभरी रचना।
    शुभकामनाएं आपको।

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  13. बेहद सुन्दर रचना.........
    शुभकामनाओं सहित....
    बधाई.....

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  14. bahut khoob... ati sundar... aur marmik
    :D

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  15. bahut sundar भावाभिव्यक्ति ....यशवंत जी पोस्ट किये गए आलेख का फॉण्ट साइज कैसे बढ़ा सकते हैं ? अपने प्रोफाइल me ऑडियो kilip कैसे jod सकते हैं व् any का कैसे सुन सकते हैं ?

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  16. शिखा जी मैंने जानकारी आपको मेल कर दी है समय मिलने पर देख लीजियेगा.

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  17. यशवंत....

    धन्यवाद !
    इतनी जल्दी किसी की प्रतिक्रिया की आशा नहीं थी मुझे..!!
    सच में कितनी तरह की घटनाएं इस जीवन में हमारे करीब से गुजरती हैं
    कुछ को हम देखते हैं और कुछ के प्रति अपनी ऑंखें बंद कर लेते
    हैं....!
    ये एक ऐसी जगह है जहाँ आप अपने सुविचार-कुविचार सब आराम से प्रस्तुत कर सकते हैं..
    कोई सहमत हो न हो....
    यह पूरी तरह से व्यक्ति विशेष पर निर्भर होता है !



    आपने जिस भाव से उपर्युक्त रचना लिखी है..
    कितने insensitive लोग होंगे जो उस घटना के करीब से निकल जाते होंगे और उन्हें कुछ नज़र ही न आता होगा....!
    हम अपने तो emotions को बचाने में लगे रहते हैं..
    भले ही उससे doosaron के emotions hurt होते हों...!
    आपकी सभी रचनाओं के लिए बधाई...
    शायद आप मेरी बात से सहमत हों या न भी हो..
    विचार पूर्णत: मेरे हैं..!!

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  18. आदरणीया पूनम जी,
    आप ने बिलकुल सही बात कही .
    मैंने जो ये लिखा है दो दिन पूर्व मैंने वास्तव में ऐसा ही दृश्य देखा था.बस बिना किसी कल्पना के उसे हू ब हू उतारने की यहाँ कोशिश की है.आप ने प्रैक्टिकल बात ही की है लिहाजा असहमत होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.

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  19. भावाभिव्यक्ति काफ़ी रोचक है....

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  20. भावप्रधान रचना

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  21. ham insaan hain???
    pata nahi... shayad isiliye pyaar bhi nahi jante...

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  22. चाँद पंक्तियों में गहरी बात कर दी आपने तो.. बेहतरीन.. प्यार इंसान से ज्यादा जानवर करते हैं.. यह बात भी सत्य है...

    तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
    आभार

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  23. मार्मिक ...सच्ची अभिव्यक्ति....

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  24. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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