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01 May 2011

मजदूरनी

आज  मजदूर दिवस है और इस अवसर पर मैं इस ब्लॉग पर पहले भी प्रकाशित हो चुकी इस कविता को पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ जो महाकवि निराला जी की 'वह तोडती पत्थर' शीर्षक कविता से प्रेरित है जिसे मूल रूप से मैंने हाईस्कूल के दौरान वर्ष  2000 में लिखा था-

 पत्थर तोडती
'निराला' की नारी
अक्सर दिखती है
सड़क के किनारों पर
तपती दुपहरी में
कंपकपाती सर्द लहरों में
वर्षा ऋतु की
अलसाती धुप में
क्रूर कुटिल भेड़ियों की
परवाह किये बगैर
उस के अश्रुओं और
स्वेद की बूँदें
चोट करती हैं
काले पथरीले दिलों पर
और वो
मुस्कुराती है
समाज के सीने पर
उभर आई
खरोचों को देख कर
उस की किस्मत में जो था
वो झेल रही है
न जाने कब से
सदियों से
या,बरसों से
यूँ ही खुले आसमाँ के तले
फुटपाथों पर
अक्सर खेलती है
मौत से
मत कहो उसे
अबला या बेचारी
'निराली ' है 'निराला' से
'निराला' की नारी.




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22 comments:

  1. मजदूर दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें।
    आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है।
    सार्थक रचना....

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  2. मानों कह रही हो कर्म ही जीवन है !
    माथुर जी, सुंदर भाव ........
    अच्छी रचना !

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  3. बहुत सुंदर रचना जीवन की सच्चाई .....

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  4. बहुत सार्थक सत्य...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  5. बेहतरीन रचना!

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  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. एक मजदूर औरत के संघर्ष को सही दर्शाया है कविता मे ।
    सुन्दर प्रयास ।

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  8. निराला की नारी का चित्रण आपके शब्दों के स्पर्श में उतने ही मुखर हैं

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  9. बहुत ही अच्छी और सार्थक रचना....

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  10. मौत से
    मत कहो उसे
    अबला या बेचारी
    'निराली ' है 'निराला' से
    'निराला' की नारी
    marmik abhivyakti .

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  11. इतने छोटे होते हुए आपने इतनी गंभीर कविता लिखी है वास्तव में प्रशंसा के योग्य है.मजदूर दिवस तो एक औपचारिकता है इनका तो रोज़ ही एक सा दिन होता है वही जो आपने व्यक्त किया है.

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  12. बहुत सुंदर भावनाओं से ओतप्रोत निरालाजी को श्रद्दांजलि देती हुई मई दिवस को सार्थक करती रचना !

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  13. मौत से
    मत कहो उसे
    अबला या बेचारी
    'निराली ' है 'निराला' से
    'निराला' की नारी.

    bahut khoob...sundar rachna

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  14. bahut marmsparshi...........

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  15. आपकी लेखनी दिन व दिन निखरती जा रही है ... शुभकामनायें !

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  16. बहुत सुंदर रचना .....शुभकामनायें आपको !!

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  17. सार्थक रचना .....अर्थपूर्ण भाव

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  18. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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