15 May 2011

भूल जाना चाहता हूँ

भूल जाना चाहता हूँ
उन राहों को
जिन से हो कर
मैं आ पहुंचा हूँ यहाँ तक
भूल जाना चाहता हूँ
उन कड़वी -मीठी बातों को
जिन्हें हर कदम पर
सुनता आया हूँ
भूल जाना चाहता  हूँ
उन यादों को
जिन्हें दर्द की तरह सीने में
सहेजा हुआ है
भूल जाना चाहता हूँ
अपने शरीर को
जिसका बोझा ढोते ढोते
अब मैं थक चुका हूँ
भूल जाना चाहता हूँ खुद को
क्योंकि अब मैं
अस्तित्व  खो चुका हूँ

मगर नहीं!
मैं चाहकर भी
कुछ भूल नहीं पा रहा हूँ
एक अजीब सा चक्रव्यूह
और
एक अजीब सी तड़प में
उलझा उलझा सा
छटपटा रहा हूँ मैं
मुक्ति पाने को !

20 comments:

  1. भुला देना इतना आसान नहीं है; और न ही भूलकर यादों से मुक्ति ही संभव है.......यादों के इस वृछ को और सघन होने दीजिये; इसमें और अच्छे पल्लव और पुष्प खिलेंगे....बहुत अच्छी रचना......बधाई.

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  2. मन की कशमकश को व्यक्त करती एक सीधी सच्ची बात कहती रचना ! शुभकामनायें !

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  3. अभी तो शुरुआत है बंधु क्यों अभी से मुक्ति की बातें कर रहे हो ?

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    http://vyangya.blog.co.in/
    http://www.vyangyalok.blogspot.com/
    http://www.facebook.com/profile.php?id=1102162444

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  4. भूलना इतना आसान कहाँ होता है !

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  5. भुलक्कड़ों की मुक्ति संभव नहीं है जानी।

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  6. such bhulna to chahte hai,per kaha bhula pate hai ham sab kuch...

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  7. समय बड़ा बलवान होता है । बड़ी से बड़ी याद पर धूल डाल देता है ।
    अच्छी कशमकश पेश की है ।

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  8. एक अजीब सी तड़प में
    उलझा उलझा सा
    छटपटा रहा हूँ मैं
    मुक्ति पाने को !

    बहुत बढ़िया ....कहाँ आसान यादों से मुक्ति....

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  9. किन किन बातों को भुलेगें यशवन्त जी। इतना आसान है क्या। खुद से भी ज्यादा प्यारी लगती है ये यादें।

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  10. भूल जाना इतना आसान नहीं है..उम्र गुजर जाती है भूल जाने में..बहुत मर्मस्पर्शी रचना ...

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  11. अच्छी रचना...

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  12. किसी को भूल जाना बहुत ही मुश्किल होता है और खासकर तब जब की वो आपके दिल पर राज़ करते हो,दर्द के समन्दर से गुजरना पड़ता है किसी को भुलाने के लिए|

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  13. एक अजीब सी तड़प में
    उलझा उलझा सा
    छटपटा रहा हूँ मैं
    मुक्ति पाने को !

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  14. भूलना आसान नहीं है ... सुन्दर पोस्ट !

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  15. मगर नहीं!
    मैं चाहकर भी
    कुछ भूल नहीं पा रहा हूँ
    एक अजीब सा चक्रव्यूह
    और
    एक अजीब सी तड़प में
    उलझा उलझा सा
    छटपटा रहा हूँ मैं
    मुक्ति पाने को !

    बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  16. very true Yashwant! nice...

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  17. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  18. हमारे पास यादों का इतना बड़ा जखीरा होता है की कई बाते तो हम कुछ समय बाद ही भूल जाते हैं पर कुछ पल ऐसे होते हैं की हम उन्हें भूलने की कोशिश में उन्हें अपने और करीब ले आते हैं तो यादों को यादें ही बनी रहने दो अपना सफ़र निरंतर चलने दो |
    सुन्दर रचना |

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  19. यशवन्त जी। इतना आसान है क्या। भूलना

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