अक्सर जब देखता हूँ
बुझे हुए चेहरों को
जलती हुई एक लौ की
तमन्ना होती है
कि उड़ जाए वो शिकन
जिसे सजा रखा है चेहरे पर
आँखों से बहते गम की भी
एक अदा होती है
इन चेहरों को बख्श दो
नूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
बुझे हुए चेहरों को
जलती हुई एक लौ की
तमन्ना होती है
कि उड़ जाए वो शिकन
जिसे सजा रखा है चेहरे पर
आँखों से बहते गम की भी
एक अदा होती है
इन चेहरों को बख्श दो
नूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
इन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
वाह दिल को छोने वाली पंक्तियाँ
खामोशी को भी
ReplyDeleteमहफ़िलों की चाह होती है
सुभानल्लाह
सच कहा खामोशी को भी महफ़िलो की चाह होती है………बहुत सुन्दर
ReplyDeleteइन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है...
बहुत खूब! बहुत सुन्दर अहसास...सुन्दर भावमयी रचना..
वाह! बहुत बढ़िया रचना है...
ReplyDeleteखामोशी को भी
ReplyDeleteमहफ़िलों की चाह होती है.............आपकी कविताओं में हमेशा ही अंतर्मन को छूने वाली बात होती है,जो मुझे हमेशा ही "महाकवि निराला" की याद दिलाती है...........बधाई है इस भाव को पाने के लिए....
वाह, बहुत सुंदर, आपकी दुआ जरूर कुबूल होगी ! आमीन !
ReplyDeletetoo good Yashwant ji.my net is not working well these days so im not very active on blogs .have a good day .
ReplyDeleteबहुत ही सरल-सहज ढंग से ह्रदय के गहनतम भावों की अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबेहतरीन ......शुभकामनायें !
ReplyDeleteBahut khoob.
ReplyDelete............
खुशहाली का विज्ञान!
ब्लॉगिंग का मनी सूत्र!
शानदार। इसके लिए बस इतना ही। बाकी का और लोगों ने कह दिया है। हम भी उनलोगों में शामिल है।
ReplyDeleteबहुत ही सरल-सहज ढंग से ह्रदय के गहनतम भावों की अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteइन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
सुंदर.....सार्थक भाव
बहुत सुंदर
ReplyDeleteखामोशी को भी
ReplyDeleteमहफ़िलों की चाह होती है
बहुत खूब
इन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
बहुत खुबसूरत पढके सच में मज़ा आ गया दोस्त |
आँखों से बहते गम की भी
ReplyDeleteएक अदा होती है..
लाजवाब पंक्ति...
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! आपके इस ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteवाह! क्या बात है! बहुत खूब लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती !
ReplyDeleteYashwant ji
ReplyDeletebahut sundar likha hain aapne.
khamoshi ko bhi mehfilo ki chah
hoti hain.
wish you the best
ReplyDeleteइन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है ....
याद आ रहा है.... फिल्म खामोशी में गुलजार का लिखा एक गीत , जिसे लता मंगेशकर ने गाया है। यह गीत मेरे प्रिय गानो में से एक है.....
प्यार कोई भूल नहीं, प्यार आवाज नहीं,
एक खामोशी है, सुनती है कहा करती है।
न ये झुकती है न रूकती है न ठहरी है कहीं,
नूर की बूंद है सदियों से बहा करती है।
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (21.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
achhi rachna .........
ReplyDeletekhamoshi ko bhi mahfilo ki chah hoti hai...
ReplyDeletevaah..
bahut khub..
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteइन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है ....
बहुत खूब कहा है ।
इन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है
बहुत ही कोमल ..सुंदर भावनाओं से युक्त कविता और फिर इतना प्यारा संगीत .....
बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं आप ...!!
बहुत ही अच्छा लगा संगीत सुनते हुए आपकी भावपूर्ण कविता पढना ..
इन चेहरों को बख्श दो
ReplyDeleteनूर मुस्कुराहटों का
खामोशी को भी
महफ़िलों की चाह होती है ....संगीत सुनते हुए आपकी भावपूर्ण कविता अच्छा लगा
वाह...वाह बहुत खूब!
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