31 May 2011

सिगरेट! अगर तू न होती

 आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर इस ब्लॉग पर पहले प्रकाशित इस कविता को पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ .

(1)

सिगरेट! अगर तू न होती
तो बच जाता मैं भी
बगल वाले नेता जी के
मुहं से निकलने वाले
अजीब से
धुंए से
जो मुश्किल कर देता है
जाड़े की गुनगुनी धूप में
दो पल का मेरा बैठना

(2)

सिगरेट! अगर तू न होती
तो कितने ही
कैंसर न पनपते
झोपड़ियों और महलों में
रहने वाले
न रोते,न कलपते

पर तू है!
और तेरा आस्तित्व भी है
कहीं दो कहीं पचास और सौ रुपये में
तू छीन लेती है ईमान
नए किशोरों का
जो भटक जाते हैं
तेरे छलावे में

काश! के कुछ होठों पे
नयी मुस्कान होती

सिगरेट! अगर तू न होती

17 comments:

  1. सिगरेट से तो यशवंत जी आप बच जाते किन्तु बगल वाले नेता जी के कार्यों से कैसे बचते जो वे अपने दिमाग से सही समझते हुए जनता के दिमाग के लिए गलत करते हैं .
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सिगरेट के दुष्प्रभावों के बारे में हमें जागरूक होना ही होगा .

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  2. यशवंत जी नेता जी की सिगरेट से बुरा तो उनका इमान डोलना है .काश सिगरेट ही पी लेते पर देशवासियों का खून न पीते .
    सिगरेट के दुष्प्रभावों को दर्शाती सार्थक रचना प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनायें .

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  3. बहुत समसामयिक और सार्थक रचना...

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  4. काश! के कुछ होठों पे
    नयी मुस्कान होती

    सिगरेट! अगर तू न होती

    बिलकुल सही कहा .....

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  5. काश!
    सिगरेट! तू ही न होती........
    काश!
    हर होठ पे मुस्कान होती.......

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  6. सार्थक रचना। आभार।

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  7. . बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति्

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  8. सिगरेट! अगर तू न होती
    बिलकुल सही कहा

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  9. सादे शब्दों में सच कह दिया .....शुभकामनायें !

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  10. very creative piece of writing !!!
    Smoking is the topic of biggest concern these days.

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  11. सिगरेट यदि तू न होती के बदले आज जरुरत है--काश हम न होते.... तो सिगरेट तू क्या करेगी ? बहुत सुन्दर धुम्रपान बंद होने चाहिए !

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  12. बहुत अच्छी रचना
    काश ये न होती तो कितनी जिन्दगिया बर्बाद न होती !

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  13. सिगरेट अगर तू न होती ,
    उनके चेहरे पे भी मुस्कान होती ।
    खूबसूरत अंदाज़ "पेसिव "सेकेंडरी ,साइड स्ट्रीम स्मोक की कवित्त मय बखानी का .आभार .

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  14. बहुत आवश्यक संदेश देती सार्थक रचना !

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