और आज
आखिर तुम चली ही गयी
उस ओर
जहाँ से वापस आना
शायद मुमकिन नहीं
तुम गिन रही थी
साँसों को
बरसों से
तड़प रही थी तुम
आज़ाद हो जाने को
मुक्ति पाने को
और आज
तुम हो गयी हो मुक्त
भौतिक रूप में
औपचारिक रूप में
किन्तु न हो सकोगी मुक्त
मेरी धुंधली सी यादों से
न भूल सकुंगा
तुम्हारे उन अहसासों को
न भूल सकुंगा
तुम्हारे उस साथ को
जो क्षणिक ही सही
पर मुझ को भी मिला था
ये तो होना ही था
हुआ भी
आज तुम गयी
और कल
शायद मेरी बारी हो.
आखिर तुम चली ही गयी
उस ओर
जहाँ से वापस आना
शायद मुमकिन नहीं
तुम गिन रही थी
साँसों को
बरसों से
तड़प रही थी तुम
आज़ाद हो जाने को
मुक्ति पाने को
और आज
तुम हो गयी हो मुक्त
भौतिक रूप में
औपचारिक रूप में
किन्तु न हो सकोगी मुक्त
मेरी धुंधली सी यादों से
न भूल सकुंगा
तुम्हारे उन अहसासों को
न भूल सकुंगा
तुम्हारे उस साथ को
जो क्षणिक ही सही
पर मुझ को भी मिला था
ये तो होना ही था
हुआ भी
आज तुम गयी
और कल
शायद मेरी बारी हो.