(1)
अक्सर उन राहों पर
कांटे देखा करता हूँ
जिन पर कभी फूल
बिछा करते थे
(2)
ये राहें
कभी
मखमली घास से ढकी
पगडंडी होती हैं
कभी
उधड़ी हुई सी
और कभी
कोलतार की
परतों में
ढकी
ये राहें
जीवन देती हैं
हर रूप में
पर सोचता हूँ
इन राहों की किस्मत
कितनी
अजीब होती है
एक जगह
स्थिर रह कर
ये राहें
प्राणवायु देती हैं
जीवन को
चलने को
आगे बढ़ने को
ये राहें
मौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते.
अक्सर उन राहों पर
कांटे देखा करता हूँ
जिन पर कभी फूल
बिछा करते थे
(2)
ये राहें
कभी
मखमली घास से ढकी
पगडंडी होती हैं
कभी
उधड़ी हुई सी
और कभी
कोलतार की
परतों में
ढकी
ये राहें
जीवन देती हैं
हर रूप में
पर सोचता हूँ
इन राहों की किस्मत
कितनी
अजीब होती है
एक जगह
स्थिर रह कर
ये राहें
प्राणवायु देती हैं
जीवन को
चलने को
आगे बढ़ने को
ये राहें
मौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते.
ये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
बिल्कुल सच कहा है ... ।
बहुत गहरी बात कह दी भाई, काश कोई इनकी भाषा समझ पाता।
ReplyDelete---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
ये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते..... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति् सुन्दर भाव…..….धन्यवाद
मेरा एक प्रिय गाना है "एक रास्ता है जिंदगी" ... आपकी रचना पढते हुए उस गाने कि याद आ गयी ...
ReplyDeleteवाह आपने तो राहो को भी शब्द दे दिया।
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब ।
ReplyDeleteये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते.
सच है ये राहें हम से बहुत कुछ कहती हैं लेकिन हम इन्हें समझने की कोशिश नहीं करते..बहुत सुन्दर
राहे सिर्फ़ बुलाती है, कहती है, कि आओ बार-बार गुजरों यहां से हजारों बार,
ReplyDeleteअक्सर उन राहों पर
ReplyDeleteकांटे देखा करता हूँ
जिन पर कभी फूल
बिछा करते थे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.बधाई.
राहों पर फूल भी हैं काँटे भी, राहें बुलाती हैं और बोलती भी ! सुंदर रचना के लिये बधाई!
ReplyDeleteये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते.... bahut sahi kaha
बहुत अच्छी लगी अभिव्यक्ति ....... शुभकामनायें !
ReplyDeleteये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
बहुत सुन्दर
अति सुन्दर काव्य
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeletebhut sahi kaha apne.. super..
ReplyDeleteये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
वाह,बहुत सुन्दर
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteगहन भावार्थ लिए अच्छी रचना।
ReplyDeleteये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते
प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
उम्दा...
ReplyDeleteHappy Environmental Day !
ये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
उम्दा/बेहतरीन .
awesome lines ..
ReplyDeletewell crafted !!
अच्छी प्रस्तुति....
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteये राहें हम से बहुत कुछ कहती हैं ......बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर ,
ReplyDeleteप्रभावशाली अभिव्यक्ती...
ये राहें
ReplyDeleteमौन रह कर भी
बोलती रहती हैं
इनकी भाषा
हम समझ नहीं सकते.
bahut sundar rachnaayen