जिंदगी की शामों में
तुम दिया जलाने क्यों आये हो
मैं अंधेरों में जीया करता था
तुम राह दिखाने क्यों आये हो?
ये कैसा पागलपन
क्यों मेरी सोयी उमंगें जिलाओगे
जब फैलाऊंगा मैं बाहें
रूठ कर चले जाओगे
यूँ तडपने दो तुम मुझ को
क्यों सेज सजाने आये हो
जिंदगी की शामों में क्यों
क्यों दिया जलाने आये हो?
{नोट-मुझे ऐसा लगता है इससे मिलती जुलती पंक्तियों को पहले कहीं पढ़ा है लेकिन याद नहीं कहाँ? यदि आपको कोई ऐसी समानता नज़र आये तो कृपया इस रचना को उससे प्रेरित समझें}
तुम दिया जलाने क्यों आये हो
मैं अंधेरों में जीया करता था
तुम राह दिखाने क्यों आये हो?
ये कैसा पागलपन
क्यों मेरी सोयी उमंगें जिलाओगे
जब फैलाऊंगा मैं बाहें
रूठ कर चले जाओगे
यूँ तडपने दो तुम मुझ को
क्यों सेज सजाने आये हो
जिंदगी की शामों में क्यों
क्यों दिया जलाने आये हो?
{नोट-मुझे ऐसा लगता है इससे मिलती जुलती पंक्तियों को पहले कहीं पढ़ा है लेकिन याद नहीं कहाँ? यदि आपको कोई ऐसी समानता नज़र आये तो कृपया इस रचना को उससे प्रेरित समझें}
जिंदगी की शामों में
ReplyDeleteतुम दिया जलाने क्यों आये हो
मैं अंधेरों में जीया करता था
तुम राह दिखाने क्यों आये हो?
bahut badhiyaa
ये कैसा पागलपन
ReplyDeleteक्यों मेरी सोयी उमंगें जिलाओगे
जब फैलाऊंगा मैं बाहें
रूठ कर चले जाओगे
बहुत sundar bhavabhivyakti . badhai .
ये कैसा पागलपन
ReplyDeleteक्यों मेरी सोयी उमंगें जिलाओगे
जब फैलाऊंगा मैं बाहें
रूठ कर चले जाओगे
बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।
बहुत ही प्यारा सवाल है। बधाई।
ReplyDelete---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
बाबाजी, भ्रष्टाचार के सबसे बड़े सवाल की उपेक्षा क्यों?
बहुत सुंदर भावों से भरी छोटी सी कविता !
ReplyDeleteआज तो टिप्पणी मे यही कहूँगा कि बहुत उम्दा रचना है यह!
ReplyDeleteएक मिसरा यह भी देख लें!
दर्देदिल ग़ज़ल के मिसरों में उभर आया है
खुश्क आँखों में समन्दर सा उतर आया है
ये कैसा पागलपन
ReplyDeleteक्यों मेरी सोयी उमंगें जिलाओगे
जब फैलाऊंगा मैं बाहें
रूठ कर चले जाओगे...मन को छू गई….
जिंदगी की शामों में
ReplyDeleteतुम दिया जलाने क्यों आये हो
मैं अंधेरों में जीया करता था
तुम राह दिखाने क्यों आये हो?
बहुत बढ़िया....
अभिव्यक्ति और सघन होती जा रही है .....शुभकामनायें !
ReplyDeleteजिंदगी की शामों में
ReplyDeleteतुम दिया जलाने क्यों आये हो
मैं अंधेरों में जीया करता था
तुम राह दिखाने क्यों आये हो?
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
bhut him khubsurat...
ReplyDeleteशिकायत बहुत खूबसूरती से लिखी है आपने ......
ReplyDeleteहमारी यही दुआ है की आप हमेशा ऐसे ही अहसास उकेरते रहें ...
poignant and creatively expressed !!
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