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02 July 2011

बरसात का मौसम

बाहर हो रही है बारिश
भीग रही हैं सड़कें
धंस रही हैं सड़कें
सरक रही हैं सड़कें

कभी जो सरपट दौड़ा करते थे
नज़रें झुकाए जा रहे हैं
दिखा रहे हैं करतब
तरह तरह के
एक  टांग पर
चल चल कर
ताजा हो रही हैं यादें
स्कूल के खेलों की

हाथों की शोभा बढाते
जूते चप्पल
कीचड में सने पैर
हिचकोले खाते वाहन
रेंग रेंग कर चलते वाहन
कहीं पर फंसते वाहन
सड़कों संग धंसते  वाहन

और वहां
सामने के स्कूल में
पढ़ने वाला
दीपू
कंधे पे बस्ता लादे
सर पे साइकिल रख कर
चला आ रहा था
मानों
साइकिल को भी
मौका मिल गया हो
सवारी करने का

है ये दृश्य आम
बरसात के मौसम में
तेज चलती हवाओं में
आमों को टूट कर
गिरना ही है पेड़ों से
और आदमी को
गिरना है
टूटी सड़कों से

किस्मत
दोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.

35 comments:

  1. बहुत सजीव चित्रण किया है बारिश का .यादों को यथार्थ में परिवर्तित कर दिया है .बधाई सुन्दर लेखन हेतु .

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  2. बारिश का समां बांध दिया आपने और अंत में बेहतरीन संदेश।

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  3. हाथों की शोभा बढाते
    जूते चप्पल
    कीचड में सने पैर
    हिचकोले खाते वाहन
    रेंग रेंग कर चलते वाहन
    कहीं पर फंसते वाहन
    सड़कों संग धंसते वाहन
    ये तो आपने वास्तविकता को शब्दों में ढाल दिया बहुत खूब.

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  4. सटीक अभिव्यक्ति ... आज कल आम भी आदमी से मंहगा है

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  5. man uthal puthal deekhti hai..... baarish me dhundhalte se kuch pal se lage mujhe. achchi lagi rachna..... background song ka ek bar fir se lutf leti hui main..... :-)

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  6. aaj to yaha bhi khoob baarish hui hai,,,

    gopal chennai

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  7. इस मौसम में
    सस्ता आम भी है
    और आदमी की जान भी.

    Bahut Badhiya.....

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  8. बहुत बढ़िया.

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  9. बहुत खूब वर्णन किया है आप ने इस कविता में..बरसात में ऐसा ही होता है..हाथों में चप्पल-जूते लिए कीचड़ -पानी में सने ..पानी में कहीं छप -छप करते ..कभी जानबूझ कर भीगते बच्चे ..

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  10. bhut khubsurat barish.. bhut hi pyari rachna....

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  11. किस्मत
    दोनों की एक सी है ||

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  12. किस्मत
    दोनों की एक सी है
    इस मौसम में
    सस्ता आम भी है
    और आदमी की जान भी.
    --
    बिल्कुल सही!
    रचना बहुत पसंद आई!

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  13. .बेजोड़ कृति है यथार्थ का चित्रण

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  14. आपकी रचना तो दर्शन से भरी हुई है . धन्यवाद .

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  15. किस्मत
    दोनों की एक सी है
    इस मौसम में
    सस्ता आम भी है
    और आदमी की जान भी.

    बेहतरीन प्रस्तुती

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  16. bahut sahi vivran barish ka.aisa hi drashya hotaa hai hamare desh main sadakon ka.badhaai aapko.

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  17. बचपन की पल याद करा दिए आपने ... बरसात से सब का बचपन जुड़ा हुवा है ... सजीव दृश्य खींचा है ...

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  18. वाह....बहुत सुन्दर...........बचपन की याद दिला दी आपने........शानदार|

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  19. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  20. बारिश के मौसम में सिर्फ परेशानियाँ ही नहीं होतीं चाय पकौड़े का आनंद भी बारिश में ही ज्यादा आता है...

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  21. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566

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  22. अच्छा चित्र है बारिश का

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  23. किस्मत
    दोनों की एक सी है
    इस मौसम में
    सस्ता आम भी है
    और आदमी की जान भी.

    good climax

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  24. हकीकत बयाँ कर दी।

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  25. awesome presentation of rain !!
    I missed so many posts :(
    read it asap.

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  26. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. और आपके ब्लॉग का थीम सोंग भी :)

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  27. रोचक, और सटीक ढंग से सच्चाई बयान कर दी आपने....
    बधाई...

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  28. ek chalchitr sa paish kar diya aapne apni rachna dwara.
    sunder.

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  29. अच्छा लगा आपको पढ़ना...

    सस्ता आम भी.....खूबसूरत...

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  30. बहुत अच्छी रचना बधाई |
    आशा

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  31. इस मौसम में
    सस्ता आम भी है
    और आदमी की जान भी.

    ..........बेहतरीन प्रस्तुती

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