बाहर हो रही है बारिश
भीग रही हैं सड़कें
धंस रही हैं सड़कें
सरक रही हैं सड़कें
कभी जो सरपट दौड़ा करते थे
नज़रें झुकाए जा रहे हैं
दिखा रहे हैं करतब
तरह तरह के
एक टांग पर
चल चल कर
ताजा हो रही हैं यादें
स्कूल के खेलों की
हाथों की शोभा बढाते
जूते चप्पल
कीचड में सने पैर
हिचकोले खाते वाहन
रेंग रेंग कर चलते वाहन
कहीं पर फंसते वाहन
सड़कों संग धंसते वाहन
और वहां
सामने के स्कूल में
पढ़ने वाला
दीपू
कंधे पे बस्ता लादे
सर पे साइकिल रख कर
चला आ रहा था
मानों
साइकिल को भी
मौका मिल गया हो
सवारी करने का
है ये दृश्य आम
बरसात के मौसम में
तेज चलती हवाओं में
आमों को टूट कर
गिरना ही है पेड़ों से
और आदमी को
गिरना है
टूटी सड़कों से
किस्मत
दोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
भीग रही हैं सड़कें
धंस रही हैं सड़कें
सरक रही हैं सड़कें
कभी जो सरपट दौड़ा करते थे
नज़रें झुकाए जा रहे हैं
दिखा रहे हैं करतब
तरह तरह के
एक टांग पर
चल चल कर
ताजा हो रही हैं यादें
स्कूल के खेलों की
हाथों की शोभा बढाते
जूते चप्पल
कीचड में सने पैर
हिचकोले खाते वाहन
रेंग रेंग कर चलते वाहन
कहीं पर फंसते वाहन
सड़कों संग धंसते वाहन
और वहां
सामने के स्कूल में
पढ़ने वाला
दीपू
कंधे पे बस्ता लादे
सर पे साइकिल रख कर
चला आ रहा था
मानों
साइकिल को भी
मौका मिल गया हो
सवारी करने का
है ये दृश्य आम
बरसात के मौसम में
तेज चलती हवाओं में
आमों को टूट कर
गिरना ही है पेड़ों से
और आदमी को
गिरना है
टूटी सड़कों से
किस्मत
दोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
बहुत सजीव चित्रण किया है बारिश का .यादों को यथार्थ में परिवर्तित कर दिया है .बधाई सुन्दर लेखन हेतु .
ReplyDeletevery nice blog chhotawriters.blogspot.com
ReplyDeleteबारिश का समां बांध दिया आपने और अंत में बेहतरीन संदेश।
ReplyDeleteहाथों की शोभा बढाते
ReplyDeleteजूते चप्पल
कीचड में सने पैर
हिचकोले खाते वाहन
रेंग रेंग कर चलते वाहन
कहीं पर फंसते वाहन
सड़कों संग धंसते वाहन
ये तो आपने वास्तविकता को शब्दों में ढाल दिया बहुत खूब.
सटीक अभिव्यक्ति ... आज कल आम भी आदमी से मंहगा है
ReplyDeleteman uthal puthal deekhti hai..... baarish me dhundhalte se kuch pal se lage mujhe. achchi lagi rachna..... background song ka ek bar fir se lutf leti hui main..... :-)
ReplyDeleteaaj to yaha bhi khoob baarish hui hai,,,
ReplyDeletegopal chennai
इस मौसम में
ReplyDeleteसस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
Bahut Badhiya.....
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत खूब वर्णन किया है आप ने इस कविता में..बरसात में ऐसा ही होता है..हाथों में चप्पल-जूते लिए कीचड़ -पानी में सने ..पानी में कहीं छप -छप करते ..कभी जानबूझ कर भीगते बच्चे ..
ReplyDeletebhut khubsurat barish.. bhut hi pyari rachna....
ReplyDeleteकिस्मत
ReplyDeleteदोनों की एक सी है ||
किस्मत
ReplyDeleteदोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
--
बिल्कुल सही!
रचना बहुत पसंद आई!
.बेजोड़ कृति है यथार्थ का चित्रण
ReplyDeleteआपकी रचना तो दर्शन से भरी हुई है . धन्यवाद .
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteकिस्मत
ReplyDeleteदोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
बेहतरीन प्रस्तुती
bahut sahi vivran barish ka.aisa hi drashya hotaa hai hamare desh main sadakon ka.badhaai aapko.
ReplyDeleteबचपन की पल याद करा दिए आपने ... बरसात से सब का बचपन जुड़ा हुवा है ... सजीव दृश्य खींचा है ...
ReplyDeleteवाह....बहुत सुन्दर...........बचपन की याद दिला दी आपने........शानदार|
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteबारिश के मौसम में सिर्फ परेशानियाँ ही नहीं होतीं चाय पकौड़े का आनंद भी बारिश में ही ज्यादा आता है...
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566
interesting...
ReplyDeleteअच्छा चित्र है बारिश का
ReplyDeleteकिस्मत
ReplyDeleteदोनों की एक सी है
इस मौसम में
सस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
good climax
हकीकत बयाँ कर दी।
ReplyDeleteawesome presentation of rain !!
ReplyDeleteI missed so many posts :(
read it asap.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. और आपके ब्लॉग का थीम सोंग भी :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...बधाई
ReplyDeleteरोचक, और सटीक ढंग से सच्चाई बयान कर दी आपने....
ReplyDeleteबधाई...
ek chalchitr sa paish kar diya aapne apni rachna dwara.
ReplyDeletesunder.
अच्छा लगा आपको पढ़ना...
ReplyDeleteसस्ता आम भी.....खूबसूरत...
बहुत अच्छी रचना बधाई |
ReplyDeleteआशा
इस मौसम में
ReplyDeleteसस्ता आम भी है
और आदमी की जान भी.
..........बेहतरीन प्रस्तुती